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धन्यवाद समर्पण हम सर्व प्रथम क्षेत्र की प्रबन्ध कारिणी कमेटी एवं विशेषतः उसके मंत्री महोदय श्री केशरलालजी बख्शी को धन्यवाद देते हैं जिन्होंने ग्रंथ सूची के चतुर्थ भाग को प्रकाशित करवा कर समाज एवं नैन साहित्य की हज करने बाले गारों महान् उपकार किया है। क्षेत्र कमेटी द्वारा जो साहित्य शोध संस्थान संचालित हो रहा है वह सम्पूर्ण जैन समाज के लिये अनुकरणीय है एवं उसे नई दिशा की ओर ले जाने वाला है । भविष्य में शोध संस्थान के कार्य का और भी विस्तार किया जावेगा ऐसी हमें आशा है। प्रथ सूची में उल्लिखित सभी शास्त्र भंडार के व्यवस्थापक महोदयों को एवं - विशेषतः श्री नथमलजी बज, समीरमलजी छाबड़ा, पूनमचंदजी सोगाणी, इन्दरलालजी पापड़ीवाल एवं सोहनलालजी सोगाणी, अनुपचंदजी दीवाण, भंवरलालजी न्यायतीर्थ, राजमलजी गोधा, प्रो. सुल्तानसिंहजी, कपूरचंदजी रांवका, आदि सज्जनों के हम पूर्ण आभारी हैं जिन्होंने हमें प्रथ मंडार की सूचियां बनाने में अपना पूर्ण सहयोग दिया एवं अब भी समय समय पर भंडार के ग्रंथ दिखलाने में सहयोग देते रहते हैं। श्रद्धय पं० चैनसुखदासजी न्यायतीर्थ के प्रति हम कृतज्ञांजलियां अर्पित करते हैं जिनकी सतत प्रेरणा एवं मार्ग-दर्शन से साहित्योद्धार का यह कार्य दिया जा रहा है। हमारे सहयोगी भा० सुगनचंदजी को भी हम धन्यवाद दिये बिना नहीं रह सकते जिनका पंथ सूची को तैयार करने में हमें पूर्ण सहयोग मिला है । जैन साहित्य सदन देहली के व्यवस्थापक पं. परमानन्दजी शास्त्री के मी हम हृदय से आभारी हैं । जिन्होंने सूची के एक भाग को देखकर आवश्यक सुझाव देने का कष्ट किया है।
अन्त में आदरणीय डा. वासुदेवशरणजी सा. अपघाल, अध्यन हिन्दी विभाग काशी विश्वविद्यालय, वाराणसी के हम पूर्ण आभारी हैं जिन्होंने ग्रंथ सूची की भूमिका लिखने की कृपा की है। डाक्टर सा. का हमें सदैव मार्ग-दर्शन मिलता रहता है जिसके लिये उनके हम पूर्ण कृतज्ञ है।
महावीर भवन, जयपुर दिनांक १०-११-६१
कस्तूरचंद कासलीवाल अन्पचंद न्यायतीर्थ