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दूहा
[ लक्षण एवं समीक्षा मुझ देउमाता श्रीगणधर स्वामी नमसवरूथी सकलकीति भवतार, मुनि भवनकीति पाय प्रणमनि कहिसू रासहूं सार ॥१॥
धरम परीक्षा करूं निरूमली भवीयण सुरगु ताँ सार । ब्रह्म जिणदास कहि निरमलु जिम जाण विचार ॥२॥ कनक रतस मारिएक मादि परीक्षा करी लाजिसार ।
तिम परनरी सस्य मोजसार ॥३॥ अन्तिम प्रभास्ति
श्री सकलकीरतिगुरुप्रणमीनि मुनिभवनकीरतिभवतार | ब्रह्म जिणदास भरिणरू प्रदु रासकीउ सविचार ॥६०।। धरमपरीक्षारासनिरमछु धरमतरणु निधान । पदि गुरिणजे सांभलि तेहनि उपजि मति ज्ञान ॥६१॥
इति धर्मपरीक्षा रास समासः
संवत् १६०२ वर्षे फागुण सुदी ११ दिने सूरलस्थाने श्री शीतलनाथ चैत्यालगे प्राचार्य श्री विनयकत्तिः एडित मेघराजकन लिखितं स्वमिदं ।
३६६६. धर्मपरीक्षाभाषा | पत्र सं० ६ से ५० । प्रा० ११४८ ईव । भाषा हिन्दी | विषय-- समीक्षा । र० काल XI ले. काल x ! अपूर्ण । वे० सं० ३३२ । क भण्डार ।
३६६७. मूर्ख के लक्षण...."| पत्र सं०.२ | प्रा. ११४६ इंच' ! भाषा-संस्कृति । विषय-लशणग्रन्ध । र काल XI काल XI पूर्ण | वे० सं० ५७६ । क भण्डार ।
३६६८. रन्नपरीक्षा-रामकवि पन सं०१७। ग्रा० ११४४०'च । भाषा-हिन्दी। वियलक्षण ग्रन्थ । २० काल X । ले. काल x पूर्ण । वे० सं० ११८ ! छ भण्डार ।
विशेष—इन्द्रपुरी में प्रतिलिपि हुई श्री।
प्रारम्भ
गुरु गणपति सरस्वति शमरि यात षध है बुद्धि। सरसबुधि छंदह रचा रतन परीक्षा सुधि ।।१।। स्तन वीपिका ग्रन्थ में रतन परिच्या जाम । सगुरु देव परताप ते भाषा वरनो पानि ॥२।। रत्न परीच्या रंगसु कीन्ही राम कविंद । इन्द्रपुरी में मानि के शिखी जु भामाणंद ६
अन्तिम