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________________ गुटका-संग्रह ] २. रोहिणी विधिकथा विशेष— १, शोखहकारारासो २. रत्नत्रयका महार्घ व क्षमावरणी ५. विनती चौपड़ को ६. पार्श्वनाथ जयमाल श्रपूर्ण वे० सं० १५६५ । बंसीदास १. अवलक्षण सोरह से पच्यानऊ ढई, ज्येष्ठ कृष्ण दुतिया भई फातिहाबाद नगर सुखमात प्रग्रवाल शिव जातिप्रधान ॥ मूलसिंह कीरति विख्यात, विशाल कोति गोयम सम्मान । ता शिप बंशीदास सुजान, माने जिनवर की श्रान ॥६६|| अक्षर पद तुक तने जु हीन, पढो बनाइ सदा परवीन ॥ क्षमी शारदा पंडितराइ पठत सुनत उपजे धर्मों सुभाइ ॥८७॥ इति रोहिणीविधि कथा समास || सकलकीर्ति ब्रह्मन मान लोहट हिन्दी ० काल सं० १६६५ ज्येषु सुदी २ । ० सं०.१५७७ ॥ इति श्री महाराज नकुल पंडित विरचिते श्रश्व सुभ विरचित प्रथमोध्यायः ॥ २. फुटकर दोहे कवीर हिन्दी २५१ ६०६५. गुटका सं० ५४ । पत्र सं० २२-३०० ६३४४ ३० | भाषा - हिन्दी । ले० काल ४ | संस्कृत हिन्दी विशेष—कोई उल्लेखनीय पाठ नहीं है । [ ७१ 22 विशेष – हिन्दी पदों का संग्रह है। ६०६६, गुटका सं० ५५ । पत्र सं० १०५ । ० ६५३ इ० | भाषा-संस्कृत हिन्दी । ले० काल सं० १८८४ | अपूर्ण | वे० सं० १५६६ । विशेष-गुटके के मुख्य पाठ निम्न प्रकार हैं पं० नकुल संस्कृत अपूर्ण विशेष – श्लोकों के नीचे हिन्दी अर्थ भी है। अध्याय के अन्त में पृष्ठ १२ पर १५६-६० १७२ १७५-१८६ २४३-२४४ हिन्दी ६१००, गुटका सं० ५६ । पत्र सं० १४ | ०७२४५३ ३० भाषा - हिन्दो | ले० काल X | पूर्ण ! १०-२६
SR No.090395
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages1007
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size19 MB
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