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दीपिकानियुक्तिश्च अ.
जीवस्थ विग्रहाविग्रहगते निरूपणम् ९३ 'से केणटेणं भंते ? एवं वुन्च: एगसमइएण वा-दुसमइएण वा-जाव-उववज्जेज्जा, एवं खलु गोयमा ! मए सत्तसेढीओ पण्णत्ताओ तंजहा-उज्जुआयता सेढी एगओ वंका दुहओ वंका, एगओ खहा-दुहओ खहा, चकवाला-अद्धचक्कवाला, उज्जुआयताए सेढीए उववज्जमाणे एगसमइएणं विग्गहेणं उववज्जेज्जा, एगओ वंकाए सेढीए उववज्जमाणे दुसमइएणं विग्गहेणं उववज्जेज्जा, दुहओ वंकाए सेढ़ीए उववज्जमाणे तिसमइएणं विग्गहेणं उववज्जेज्जा से तेण?ण गोयमा ! एवं वुच्चइ जाव-उववज्जेज्जा' इति भगवतीशतके-३४- चतुस्त्रिच्छतकस्य-१-उद्देशे १-सूत्रो
छाया----अपर्याप्तसूक्ष्मपृथिवीकायिको भदन्त ! अस्या रत्नप्रभायाः पृथिव्याः पूर्वस्मिन् चरमान्ते समवहतः, समवहत्य यो भव्योऽस्या रत्नप्रभायाः पृथिव्याः पश्चिमे चरमान्ते अपर्याप्तसूक्ष्मपृथिवीकायिकतया उत्पत्तुं स खलु भदन्त-! कतिसामयिकेन विग्रहेण उत्पद्येत-?
गौतम-! एकसामयिकेन वा–द्विसामयिकेन वा-त्रिसामयिकेन वा विग्रहेण उत्पद्येत तत्केनार्थेन भदन्त-! एवमुच्यते ! गौतम- मया सप्तश्रेणयः प्रज्ञप्ताः तद्यथा ऋज्वायता
प्रश्न-भगवन् ! अपर्याप्त सूक्ष्म पृथ्वीकायिक जीव ने इस रत्नप्रभा पृथ्वी के पूर्व चरमान्त में समुद्धात किया और वह इसी रत्नप्रभा पृथ्वी के पश्चिम चरमान्त में अपर्याप्त सूक्ष्म पृथ्वीकायिक के रूप में उत्पन्न होने वाला है, तो हे भगवन् ? वह जीव कितने समय का विग्रह करके उत्पन्न होता है ?
उत्तर---गौतम ? एक समय का दो समयों का अथवा तीन समयों का विग्रह कस्के
उत्पन्न होता है।
प्रश्न-भगवन् ! किस हेतु से आप ऐसा कहा है ? - उत्तर-गौतम ! मैंने सात श्रेणियों की प्ररूपणा की है (१) ऋज्वायताश्रेणि (सीधी-लम्बी श्रेणी), (२) एकतो बक्रा अर्थात् एक ओर से टेढी, (३) द्विधा का अर्थात् दोनों ओर से टेढी (४) एक ओर से खहा (५) दोनों ओर से खहा (६) चक्रवाला (गोलाकार) और (७) अर्धचक्रवाला (अर्द्धगोलाकार) जो जीव सीधी लम्बी श्रेणी से उत्पन्न होता है, वह एक समय के विग्रह से उत्पन्न होता है । जोएक तो वक्र श्रेणी से उत्पन्न होता है वह दो समय वाले विग्रह से उत्पन्न होता है जो द्विधावक श्रेणी से उत्पन्न होता है वह तीन समय के विग्रह से उत्पन्न होता है । इस हेतु से हे मौतम ! मैं ऐसा कहता हूँ, यावत् " उत्पन्न होता है।
-भगवतीसूत्र, श. ३४, उ. १, सूत्र । यहाँ 'विग्रह' का अर्थ विराम' है, वक्रता नहीं । अतएक आशय यह निकला कि एक समय के गलि के विसमा से अर्थात् एक समय' परिमाण मतिकाल के बाद होने वाले विशम से