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के लिए गर्भस्थ पुत्र को समाप्त कर दिया गया। क्यों ? पुत्र से भी पत्नी पर अधिक प्रेम था, इसीलिए न?
एक दिन चंपक भाई की पत्नी रसोईघर में रसोई बना रही थी। चंपक भाई ने घर में प्रवेश किया। तभी चारों ओर से कोलाहल सुनाई दिया, 'भागो। भागो। चारों ओर आग लग गई है।' पुलिस पा चुकी थी और इस विशाल इमारत में से लोगों को बाहर निकालने के लिए इत्तला दे रही थी। तभी चंपक भाई को पुलिस ने कहा- 'जल्दी कूद पड़ो यहाँ से, अन्यथा मर जानोगे।'
अपने प्राण (शरीर को) बचाने के लिए चंपक भाई कूद पड़े। पत्नी झुलस कर समाप्त हो गई।
चंपक भाई ने पत्नी के आने की इंतजारी न कर स्वयं का रक्षण कर लिया। क्यों? पत्नी से भी अधिक उन्हें अपने प्राण प्रिय थे, इसीलिए न? ___ ज्ञानियों का कथन है कि संसारी आत्मा को अपने देह पर अत्यधिक ममत्व होता है। इसीलिए तो दान, शील, तप और भाव में आगे-आगे का धर्म अत्यधिक कठिन है। दान से शील कठिन है और शील से तप कठिन है। दान में दूरस्थ धन की मूर्छा के त्याग का पुरुषार्थ है। शील में कुछ निकट स्त्री के त्याग का पुरुषार्थ है, जबकि तप में २४ घंटे साथ में रहने वाले देह की मूर्छा के त्याग का पुरुषार्थ है। अतः देह की मूर्छा का त्याग अधिक कठिन होने से कविवर बादलों की उपमा द्वारा देह के क्षणिक अस्तित्व का सर्वप्रथम वर्णन करते हैं।
पूज्य उपाध्यायजी म. फरमाते हैं कि इस देह के साथ क्या
शान्त-२
शान्त सुधारस विवेचन-१७