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अधिक वजन होने पर आपको अधिक चार्ज देना पड़ता है; किन्तु यदि आप वायुयान से यात्रा करना चाहते हैं तो अपने साथ अधिक सामान नहीं रख सकते हैं। वायुयान व जलयान में वजन उठाने की अपनी एक क्षमता होती है। क्षमता से अधिक वजन डालने पर जलयान के डूबने की सम्भावना रहती है। . ममता से आत्मा भारभूत बनती है। ज्यों-ज्यों आत्मा ममता करती है, त्यों-त्यों उसको ऊँचे उठने में कठिनाई रहती है और वह नीचे गिरती जाती है। स्वर्ग व अपवर्ग तक पहुँचने के लिए प्रात्मा को निर्मम बनना होगा। आत्मा यदि ममत्व वालो बनेगी तो वह अधोलोक में जाएगी। नरक व निगोद की दुःखभरी यात्रा उसे करनी पड़ेगो ।
संसार में ममत्व के अनेक क्षेत्र हैं। व्यक्ति ज्यों-ज्यों स्व के निकट पहुँचता है, त्यों-त्यों उसकी ममता बढ़ती जाती है ।
अन्य देश में रहने वाले भारतीय को भारतीय व्यक्ति मिलते हो प्रेम पैदा हो जाएगा। जितना प्रेम उस व्यक्ति से अन्य देश में होगा, उतना प्रेम उसे स्वदेश में नहीं होगा। स्वदेश में भी राजस्थानी को जितना प्रेम राजस्थानी से होगा, उतना प्रेम गुजराती से नहीं होगा।
राजस्थानी को भी जितना प्रेम अपने गाँव में रहने वाले से होगा, उतना प्रेम अन्य गाँव में रहने वाले से नहीं होगा। फिर एक व्यक्ति को जितना प्रेम अपने मोहल्ले वाले से होगा, उतना प्रेम अन्य मोहल्ले वाले से नहीं होगा। फिर जितना प्रेम पड़ोसी से होगा, उतना प्रेम दूर रहने वाले से नहीं होगा।
शान्त सुधारस विवेचन-१३८