Book Title: Shant Sudharas Part 01
Author(s): Ratnasenvijay
Publisher: Swadhyay Sangh

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Page 313
________________ तपस्वी धन्ना अरणगार ने मात्र नौ मास में चढ़ते हुए परिणाम से कर्मों की इतनी जबरदस्त निर्जरा की, कि स्वयं भगवान महावीर ने अपने मुख से उनकी प्रशंसा की थी। जिस प्रकार खेत में इकट्ठ हुए कचरे को जला दिया जाता है और खेत साफ कर दिया जाता है; उसी प्रकार कर्मरूपी कचरे के ढेर को जलाने के लिए तप अग्नि समान है। चिलातिपुत्र ने भयंकर पापार्जन किए थे, किन्तु तप के प्रभाव से उसने अपनी आत्मशुद्धि कर ली। याति घनाऽपि घनाघनपटली , खरपवनेन विरामम् । भजति तथा तपसा दुरिताली, क्षणभङ्गुर - परिणामम् ॥विभा० ११८॥ अर्थ-जिस प्रकार तीव्र पवन के द्वारा भयंकर मेघ का प्राडम्बर भी नष्ट हो जाता है, उसी प्रकार तप से पापों की श्रेणी भी क्षणभंगुर बन जाती है ।। ११८ ।। विवेचन तप से पापनाश आषाढ़ मास की ऋतु हो, सम्पूर्ण आकाशमण्डल बादलों से घिरा हुआ हो और चारों ओर बिजलियाँ चमक रही हों, सम्पूर्ण वातावरण वर्षा के लिए सानुकूल हो। सभी लोग इसी आशा में हों कि अभी वर्षा होगी........अभी वर्षा होगी। शान्त सुधारस विवेचन-२६१

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