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मोक्ष का वचन देता है । इच्छाओं को पूर्ण करने में चिन्तामरिण है, ऐसे तप का बारम्बार आराधन करो ।। १२३ ।।
तप चिन्तामणि से बढ़कर है
पूज्य उपाध्यायजी म. तप के माहात्म्य को बतलाते हुए कहते हैं कि संयम रूपी लक्ष्मी को वश में करने के लिए तप एक वशीकरण मंत्र के समान है । जिस प्रकार वशीकरण मंत्र या विद्या के द्वारा किसी को अपने अधीन किया जा सकता है, उसी प्रकार यदि ग्राप संयम रूपी लक्ष्मी चाहते हैं, तो आपको तप का आचरण करना चाहिये । सांसारिक लक्ष्मी तो क्षणिक, नाशवन्त मौर आपत्तियों का घर है, जबकि यह संयम - लक्ष्मी तो समस्त संपत्तियों की बीज है ।
है ।
विवेचन
इसके साथ ही तप मोक्षसुख की प्राप्ति का सर्वश्रेष्ठ साधन तप हमें मोक्ष-सुख प्रदान करने का वचन देता है ।
तप चिन्तामरिण रत्न से बढ़कर है । चिन्तामरिण रत्न तो मांगने पर मनोवांछित फल देता है, जबकि तप तो ऐसा चितामरिण रत्न है, जो बिना मांगे ही सभी मनोरथों को पूर्ण कर देता है । ऐसे महान् तप का बारम्बार सेवन करना चाहिये ।
कर्मग दौषधमिदमिदमस्य जिनपतिमतमनुपानम् विनय समाचर सौख्यनिधानं, सुधारस
शान्त
शान्त सुधारस विवेचन- ३०५
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पानम् ।। विभा० १२४॥