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अर्थ-हाथी, मछली, भ्रमर, पतंगा तथा हिरण आदि विषयविलास के प्रेम के कारण अहा ! खेद है, बेचारे ! विविध वेदनाओं को प्राप्त करते हैं। वास्तव में, विषय की परिणति विरस (दुःखदायी) है ।। ६२ ।।
. विवेचन विषय की परिगति नीरस है
क्या आप जानते हैं ?
स्पर्शनेन्द्रिय के वशीभूत बने हाथी की क्या दशा होती है ? रसनेन्द्रिय की गुलाम बनी मछली कैसे बेहाल होती है ? घ्राणेन्द्रिय के गुलाम भ्रमर की कैसी भयंकर हालत होती है ? चक्षुरिन्द्रिय के गुलाम बने पतंगे की क्या हालत होती है ? और श्रोत्रेन्द्रिय के गुलाम हिरण की कैसी दुर्दशा होती है ?
बेचारा हाथी! जीवन पर्यन्त का कैदी बन जाता है। बेचारी मछली! मृत्यु के मुख में चली जाती है। बेचारा भ्रमर ! कमल की कैद में ही समाप्त हो जाता है। पतंगा तो तत्काल मृत्यु की भेंट हो जाता है और हिरण भी मृत्यु का शिकार बन जाता है।
एक-एक इन्द्रिय के एक-एक विषय की पराधीनता का भी यह भयंकर परिणाम है, तो जो मनुष्य अपनी पाँचों इन्द्रियों का गुलाम बनेगा, उसकी क्या हालत होगी ? ___ स्पर्श के सुख में आसक्त बने संभूतिमुनि चक्रवर्ती तो बन गए, किन्तु उसके परिणामस्वरूप ७वीं नरक-भूमि की भयंकर यातनाएँ उन्हें भोगनी पड़ी।
शान्त सुधारस विवेचन-२२७