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रसना के गुलाम बने कंडरीक मुनि की क्या हालत हुई ? उन्हें भी ७वीं नरक भूमि का टिकिट मिल गया।
सीता के रूप के भ्रमर बने रावण की हालत से कौन अपरिचित है ? बेचारा! चौथी नरक-भूमि का पथिक बन गया।
सावधान ! इन्द्रियों के विषय देखने में जितने सुन्दर हैं, उतने ही उनके परिणाम अतिभयंकर हैं। इन्द्रियों का आकर्षण बड़ा सुहावना है, किन्तु उनके चंगुल में फँस जाने के बाद भयंकर सजा हो भोगनी पड़ती है। इन्द्रियाँ तो ठग हैं, जो बोलने में मधुर हैं, दिखने में सुन्दर हैं, किन्तु उनके आकर्षण में फँसने के बाद उनके जाल में से बच निकलना अत्यन्त दुष्कर है।
ठीक ही कहा हैआपात-मात्र-मधुरै विषयविषसन्निभैः । आत्मा मूच्छित एवाऽऽस्ते, स्वहिताय न चेतति ॥
विषय क्षणमात्र ही सुख को देने वाले हैं। उनकी मनोहरता व उनका सौन्दर्य क्षणजीवी ही है। ये विष के समान हैं। इन विषयों में मूच्छित आत्मा स्वहित के विवेक को खो देती है।
उदित-कषाया रे, विषय-वशीकृता ,
____ यान्ति महानरकेषु । परिवर्तन्ते रे, नियतमनन्तशो ,
जन्म - जरा - मरणेषु ॥ ६३ ॥
शान्त सुधारस विवेचन-२२८