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(2) सर्वथा मृषावाद विरमण महाव्रत-मन, वचन और काया से झूठ बोलना नहीं, दूसरे से बुलवाना नहीं और झूठ बोलते हुए की अनुमोदना करनी नहीं।
(3) सर्वथा अदत्तादान विरमण महाव्रत-मन, वचन और काया से चोरी करना नहीं, दूसरे से करवाना नहीं और चोरी करने वाले की अनुमोदना नहीं करनी।
(4) सर्वथा मैथुन विरमरण महाव्रत--मन, वचन और काया से मैथुन का सेवन करना नहीं, दूसरे से करवाना नहीं और करते हुए की अनुमोदना भी नहीं करना।
(5) सर्वथा परिग्रह विरमण महाव्रत-मन, वचन और काया से परिग्रह धारण करना नहीं, करवाना नहीं और परिग्रह धारण करने वाले की अनुमोदना भी नहीं करना ।
पाँच इन्द्रिय निग्रह
(6) श्रोत्रेन्द्रिय निग्रह-कान से निन्दा, अश्लील गीत आदि के श्रवण का त्याग करना ।
(7) चक्षुरिन्द्रिय निग्रह-आँख से स्त्री के अंगोपांग दर्शन, सिनेमा, नाटक आदि देखने का त्याग करना।
__(8) घ्राणेन्द्रिय निग्रह-सुगन्धित पदार्थ, बगीचे में भ्रमण आदि का त्याग करना ।
(9) रसनेन्द्रिय निग्रह-स्वादिष्ट भोजन आदि की आसक्ति का त्याग करना।
शान्त सुधारस विवेचन-२४४