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अभिमान पतन का कारण है। अभिमान के प्रसंग पर निम्नलिखित दृष्टान्तों का विचार करें
(१) जाति के अभिमान प्रसंग में हरिकेशी का विचार करें। जातिमद के कारण उनका चाण्डाल कुल में जन्म हुआ।
(२) कुलमद के कारण मरीचि को एक कोटा-कोटि सागरोपम तक भवभ्रमरण करना पड़ा और अनेक भवों में नीच कुल में जन्म लेना पड़ा।
(३) रूप के अभिमान के साथ ही सनत्कुमार चक्रवर्ती की काया भयंकर रोगों से ग्रस्त हो गई।
(४) बल के अभिमान के कारण श्रेणिक महाराजा को नरक में जाना पड़ा।
(५) तप के मद के कारण कुरगडु मुनि को तप में भयंकर अन्तराय पैदा हुआ।
(६) विद्या के अभिमान के कारण स्थूलभद्र अर्थसहित चौदह पूर्व का ज्ञान प्राप्त न कर सके ।
(७) लाभ के मद के कारण सुभौम चक्रवर्ती मरकर सातवीं नरक-भूमि में पैदा हुआ।
(८) ऐश्वर्यमद से दशार्णभद्र को झुकना पड़ा।
इस प्रकार अभिमान के फल का विचार कर मान-त्याग के लिए प्रयत्नशील बनना चाहिये ।
माया के निवारण के लिए हृदय में सरलता धारण करनी
शान्त सुधारस विवेचन-२५५