________________
वन के दावानल को शान्त करना आसान काम नहीं है, उसे तो मूसलाधार वर्षा ही शान्त कर सकती है।
यहाँ पूज्य उपाध्यायजी म. क्रोध के दावानल को शान्त करने का उपाय बतलाते हुए कहते हैं कि तू उपशम रस की वर्षा से क्रोध के दावानल को शान्त कर दे।।
जहाँ उपशम है वहाँ क्रोध जीवित नहीं रह सकता है । क्रोध आग है, जल पानी है। आग उष्ण और जल शीतल होता है। आग और पानी में विजय पानी की ही होती है। इसी प्रकार क्रोध की आग को उपशम के जल से प्रशान्त किया जा सकता है।
उपशम रस से क्रोधाग्नि को शान्त कर मोक्ष-सुख को लाने वाले वैराग्य को हृदय में धारण करो।
आसक्ति में दुःख है। विरक्ति में आनन्द है।
पात रौद्रं ध्यानं मार्जय ,
दह विकल्प - रचनाऽनायम् । यदियमरुद्धा मानसवीथी ,
तत्त्वविदः पन्था नाऽयम् ॥ शृणु० १०५ ॥ अर्थ-पात और रौद्रध्यान (के कचरे को) साफ कर दो, विकल्प-कल्पना के जाल को जला डालो। क्योंकि अनिरुद्ध मानसिक मार्ग तत्त्वज्ञानियों का मार्ग नहीं है ।। १०५ ।।
शान्त सुधारस विवेचन-२६४