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महेश ने डॉक्टर की जेब भर दी और अपनी प्राण-प्यारी (?) पत्नी को जहर का इंजेक्शन देकर मौत के घाट सुला दिया ।
यह है इस संसार की हालत | ऐसी अनेक घटनाएँ आए दिन पढ़ने-सुनने को मिलती हैं ।
कुछ ही समय बाद अपने सौन्दर्य और चमक को खोने वाले ऐसे क्षणिक पदार्थों में क्या राग करें ?
परन्तु आश्चर्य है कि प्रेत से ग्रस्त व्यक्ति की तरह सांसारिक क्षणिक पदार्थों का राग छूटता ही नहीं है। जिस प्रकार प्रेताधीन व्यक्ति स्वतंत्र रूप से कोई प्रवृत्ति नहीं कर पाता है, उसी प्रकार राग से अंधी बनी आत्मा भी विवेकभ्रष्ट होने से स्वतंत्र रूप से स्व-हित की प्रवृत्ति नहीं कर पाती है ।
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Don't Grieve Over Inevitable
For in that case the death of him who is born is certain; and the rebirth of him who is dead is inevitable. It does not, therefore, behove you to grieve over an inevitable event.
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शान्त सुधारस विवेचन- २३
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