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• सुना है कि एक किसान के पशु हरी घास को खाने के इतने प्रादी हो गए थे कि यदि कोई उन्हें शुष्क घास डालता तो वे उस ओर मुंह भो नहीं करते।
एक बार उस नगर में भयंकर दुष्काल पड़ा। उस किसान के पास हरे घास को तंगो हो गई। अपने पशुप्रों को बचाने के लिए उसने कुछ सूखा घास खरोद लिया और पशुओं को डाला। किन्तु किसी ने उस में अपना मुंह नहीं डाला। मालिक को प्राश्चर्य हुा-यह क्या बात है? कोई घास नहीं खा रहा है। अन्त में किसी मित्र ने सलाह दी कि ये हरी घास को खाने के आदी हो गए हैं, अतः ये सूखी घास की अोर नजर भी नहीं कर रहे हैं। अतः इनकी आँखों पर हरे रंग के काच बँधवा दो, फिर देखो इसका कमाल ।
किसान ने वैसा ही किया और तत्काल वे पशु उस सूखी घास पर टूट पड़े। ___ बस ! यही हालत है इस संसार में संसारी जीवात्मा की । मोह के नशे के कारण उसे इस संसार की भयानकता समझ में ही नहीं आती है।
सम्पूर्ण विश्व के समस्त प्राणियों पर मोहराजा एकछत्र राज्य करना चाहता है। एकमात्र धर्मराजा तीर्थंकर परमात्मा की शरण में गए प्राणियों पर ही उसका कोई अधिकार नहीं चलता है। शेष प्राणियों को तो वह नाना प्रकार से परेशान करता रहता है। उसने जीवात्मा को गले से ही पकड़ लिया है और वह जीवात्मा को जन्म-जरा-मरण-रोग-शोक आदि नाना प्रकार की पीड़ाएँ देता रहता है ।
शान्त सुधारस विवेचन-१००