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प्रेम करती है, उसकी आज्ञा मानती है, परन्तु ज्योंही पिता भयंकर रोगों से ग्रस्त हो जाते हैं अथवा वृद्धावस्था से कमजोर बन जाते हैं, तब वे ही पुत्र उस पर हुकूमत चलाते हैं और उस बूढ़े को पुत्र के इशारों पर चलना पड़ता है ।
राज्य की लिप्सा से औरंगजेब ने अपने पिता शाहजहाँ को कैद करवा दिया था ।
संसार के सम्बन्ध स्वार्थ से भरे हैं । अपने स्वार्थ की सिद्धि के लिए भाई, भाई की हत्या के लिए; पति, पत्नी की हत्या के लिए; और पुत्र, पिता की हत्या के लिए भी तैयार होते देखे गए हैं ।
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घटयसि क्वचन मदमुन्नतेः, क्वचिदहो हीनतादीन
प्रतिभवं
रे ।
रूपमपरापरं,
वहसि बत कर्मरणाधीन रे ॥ कलय० ३६ ॥
अर्थ - तू कभी-कभी उन्नति के अभिमान की कल्पना करता है तो कभी हीनता के विचारों से दीन बन जाता है। कर्म की पराधीनता से हर भव में नये-नये रूपों को धारण करता है ।। ३६ ।।
विवेचन
उतार-चढ़ाव से भरा संसार
इस संसार में जीवात्मा कर्मसत्ता के अधीन है। कर्म के
शान्त सुधारस विवेचन- १०४