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इस अनन्तकाल में अपनी आत्मा ने अनन्त रूपों को धारण किया है। कोई ऐसा जन्म नहीं, कोई ऐसा क्षेत्र नहीं, कोई ऐसी जाति नहीं, कोई ऐसा देश नहीं, कोई ऐसी योनि नहीं जहाँ अपनी आत्मा ने जन्म नहीं लिया हो।
प्रोह ! अफसोस है कि अनन्तकाल से अपनी आत्मा संसारसागर की भंवर में फंसी हुई है, फिर भी उससे मुक्त बनने के लिए लेश भी प्रयत्न नहीं करती है ।
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Look With Equality
Look upon others as you would on yourself, if happiness be your goal; for others feel the same amount of pleasure or pain as you do.
Lammramroommmmmmm
शान्त सुधारस विवेचन-६८