________________
लोग दौड़ पड़े और अमर को देखने लगे। अमर को बेहोश देखकर सभी चिंतातुर बन गए। तत्काल उसके माता-पिता भी
आ गए और करुण विलाप करने लगे। माँ रोते हुए बोली-"बेटा ! बोल तो सही। कैसे गिर गया, कहीं चोट तो नहीं लगी?" किन्तु अमर तो मौन था। अमर के मौन ने उसकी बीमारी की भयावहता को बढ़ावा दिया।
__कुछ लोग अमर को उठाकर उसके पारामखण्ड में ले पाए। चारों ओर भागदौड़ होने लगी, कोई वैद्य को बुलाने भागा तो कोई हकीम को।
थोड़ी ही देर में वैद्य आया। दवाई दी, किन्तु कोई सुधार नहीं।
हकीम अाया। उसने अपना उपचार किया, किन्तु कोई फर्क नहीं।
नये-नये वैद्य, डॉक्टर आने लगे, लेकिन कोई फर्क नहीं।
घर में सभी परेशान हो गए। अब क्या किया जाय ? माँ रो रही है, पत्नी की आँखों में आँसू हैं। किसी ने भोजन नहीं किया।
अमर के पिता दरवाजे के पास बाहर खड़े थे, तभी वे महात्मा उस मार्ग से गुजरने लगे। महात्मा को देखते ही सेठजी ने झुककर उनके चरणों में नमस्कार किया और बोले-"कृपालो ! कृपा करो मेरा एकाकी बच्चा""मृत्यु शय्या पर । वह कुछ बोल नहीं पा रहा है. आप उसे ठीक कर दीजिए।"
शान्त सुधारस विवेचन-६६