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*प्राकृत व्याकरण * +restrostorrowt660664keraroork.c0000000000rvotterinterstratecom अथवा उकारान्त के पंचमी विभक्ति के एक वचन का उदाहरण:-गिरेः अथवा तरीः भागत:-गिरिणो अथवा तरुणो आगो पहाड़ से अथवा वृक्ष सं आया हुआ है। इकारान्त अथवा उकारान्ट के पुल्लिंग में षष्ठी विभक्ति के एक वचन का उदाहरण-गिरेः अथवा सरोः विकारागिरिणी अथवा तरी: विकार:-गिरिणो अथवा तरुणो विप्रारो अर्थात् पहाड़ का अथवा वृक्ष का विकार है । नपुसक लिंग वाले इकारान्त अथवा उकारान्त के पंचमी विभक्ति के एक वचन का उदाहरण:-धनः अथवा मधुनः आगतः दहिणो अथवा महुणो श्रागश्रो अर्थात् दहो से अथवा मधु से आया हुआ (प्राप्त हुआ) है। इसी प्रकार से नपुंसक लिंग वाले इकारान्त अथवा उकारान्त के षष्ठी विभक्ति के एक वचन का अदाहरणः-दन्नः अथवा मधुन. विकारः दहिणी अथवा महुणो विचारो अर्थात दही का अथवा मधु का षिकार है । इन उदाहरणों में पुल्लिंग में एवं नपुंसक लिंग में पंचमी विभक्ति के एक वचन में और पष्ठी विभक्ति के एक वचन में 'णो' प्रत्यय को श्रादेश--प्राप्ति हुई है।
वैकल्पिक पक्ष होने से पंचमी विभक्ति के एक वचन में इकारान्त में सूत्र-संख्या ३.८ से 'गिरीयो, गिरीउ और गिरी हिन्तो' रूप भी होते हैं । एकारान्त में भी पंचमा विभक्ति के एक वचन में सूत्र-संख्या ३-८ से 'तरूओ, तरूव और तरूाहिन्ती' रूप होते हैं। सूत्र संख्या ३-4 से प्राप्त होने वाले प्रत्यय 'हि' और 'लुक' का सूत्र-संख्या ३-१२६ और ३.१२७ में निषेध किया जायगा; तदनुमार इकारान्त सकारान्त में पंचमी विभक्ति के एक वचन में 'हि' और 'लुक' प्रत्यय का अमाव जानना ।
षष्ठी विभक्ति के एक वचन में भी इकारान्त और उकारान्त में उपरोक्त 'गो' प्रादेश प्राप्त प्रत्यय की स्थिति वैकल्पिक होने से सूत्र-संख्या ३-१० से संस्कृतीय प्रत्यय 'हम' के स्थान पर 'रस' प्रत्यय की प्राप्ति हुश्रा करती है । जैसे:-गिरेः = गिरिस्स अर्थात् पहाड़ का और तरी:- नरूस्म अर्थात वृक्ष का।
प्रश्न:-इकारान्त अथवा उकारान्त पुल्लिंग और नपुसक लिंग वाले शब्दों में पंचमी विभक्ति और षष्ठी विभक्ति के एक वचन में क्रम से प्राप्त संस्कृतीय प्रत्यय 'सि' और 'अस्' के स्थान पर 'गो' प्रत्यय होती है। ऐसा क्यों कहा गया है ?
उत्तरः-इकारान्त अथवा उकारान्त में पंचमी विभक्ति के एक वचन के अतिरिक्त और षष्ठी विभक्ति के एक वचन के अतिरिक्त अन्य किसी भी विभक्ति के एक वचन में प्राकृत में 'णो' प्रत्यय की प्राप्ति नहीं हुआ करती है; इसीलिये 'सि' और 'कुम्' का उल्लेख करना पड़ा है। जैसे:-गिरिणा अथवा तरुणा कृतम-गिरिणा अथवा तरुणा कयं अर्थात पहाड़ से अथवा वृक्ष से किया हुआ है। इस उदाहरण से प्रतीत होता है कि पंचमी अथवा षष्ठी विभक्ति के एक वचन के अतिरिक्त अन्य किसी भी विभक्ति के एक वचन में इकारान्त और उकारान्त शब्दों में 'पो' प्रत्यय का अभाव ही होता है।
प्रश्नः-पुल्लिंग अथवा नपुसक लिंग वाले इकारान्त और उकारान्त शब्दों में 'सि' और