Book Title: Bhagwan Parshwanath ki Parampara ka Itihas Purvarddh 02
Author(s): Gyansundarvijay
Publisher: Ratnaprabhakar Gyan Pushpamala Falodi
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वि० सं० ४८०-५२० वर्ष ।
भगवान् पार्श्वनाथ की परमरा का इतिहास
का भी अच्छा उद्योत हुआ। एक समय सूरिजी ने अपने आयुष्य के लिये देवी को पूछा तो देवी ने कहा पूज्यवर ! कहते हुए बड़ा ही दुःख होता है कि श्राप की आयुष्य पाँच मास और तेरह दिन की रही है आप अपने शिष्य उपाध्याय मंगलकुम्भ को पट्टधर वना कर अन्तिम सलेखना में लग जाइये । सूरिजी ने देवी के षचन को 'तथाऽस्तु' कह कर उपाध्याय मंगलकुम्भ को पद प्रतिष्ठित करने का श्री संघ को सूचित कर दिया कि श्रीसंघ के आदेश से कुमहगोत्रीय शाह वरधा ने सूरिपद के महोत्सव में पाँच लक्ष द्रव्य खर्च कर उच्छव किया और आवार्यश्री ने चतुर्विध श्रीसंघ के समक्ष उपाध्याय मंगलकुम्भ को अपने पट्टपर प्राचार्य बना कर आपका नाम सिद्धसूरि रख दिया तथा उस अवसर पर और भी योग्य मुनियों को पदवियां प्रदान की । बाद चातुर्मास के वहाँ से बिहार कर आप खटकूप नगर पधार रहे थे वहाँ के श्रीसंघ ने आपका सुन्दर स्वागत किया । विशेषता यह थी कि यह आपके जन्मभूमि का नगर था जनता में बहुत हर्ष एवं उत्साह था सूरिजी अन्तिम सँलेखना तो पहले से ही कर रहे थे पर जब देवी के कथना. नुसार आपके आयुष्य के शेष ३२ दिन रहे तो सूरिजी ने चतुर्विध श्री संघ के सामने अनशन करने का कहा जिसको सुन कर संघ के हृदय को बड़ा ही आघात पहुँचा पर काल के सामने वे कर क्या सकते थे भाखिर सूरिजी महाराज ने आलोचना पूर्वक अनशन कर लिया और समाधि पूर्वक ३२ दिनों के अन्त में पांच परमेष्टी के स्मरण पूर्वक स्वर्ग धाम पधार गये । उस समय सकल श्री संघ ही नहीं पर नगर भर में शोक के काले बादल छा गये थे श्री संघ ने निरानन्द होते हुए भी सूरिजी के शरीर का संस्कार किया जिस समय श्रापके शरीर का अग्नि संस्कार प्रारम्भ हुआ उस समय आकाश से केसर के रंग का थोड़ा थोड़ा बरसाद हुआ था तथा चिता पर कुछ पुष्प भी गिरे जिसकी सौरम वायु से मिश्रित हो चारों और फैल गई थी श्री संघ के दुःख निवारणार्थ अदृश्य रहकर देवी ने कहा कि आचार्य देवगुप्त सूरि महान् प्रभावशाली हुए हैं आप सौधर्म देवलोक के सुदर्शन विमान में पधारे और एकाव करके मोक्ष पधार जायँगे। जिसको सुनकर भीसंघ में बड़ा ही आनन्द मनाया गया और आपके अग्निसंस्कार के स्थान एक सुन्दर बहुमूल्य स्तम्भ बनाया गया जो आपके गुणों की स्मृति करवा रहा था---
सूरीश्वरजी के शासन मे भावुको की दीक्षाएँ १-खटकूपनगर के बाप्पनाग गौ० शाह भाला ने सूरि० २-राहोप के श्रेष्टि गौ०
रामा ने ३-रोडीग्राम के भूरि गौ०
काना ने ५-सिन्धोड़ी ___ के भूरि गौ०
कल्हण ने ५-मुग्धपुर के कुमट गौ० ६-गिलणी के कनोजिये।
चतराने ७-मुकनपुर के चोरड़िया०
चुड़ा मे ८-नागपुर के नाहटा गौ.
जैता ने ९-नेताड़ी के गोलेचा०
जसा ने १०-पद्मावती के तप्तभट्ट गौ० , गेंदा ने सरिजी के शासन में भावुकों की दीक्षाए
चुनड़ ने
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