Book Title: Bhagwan Parshwanath ki Parampara ka Itihas Purvarddh 02
Author(s): Gyansundarvijay
Publisher: Ratnaprabhakar Gyan Pushpamala Falodi
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वि० सं० ५५८ से ६०१]
[भगवान् पार्श्वनाथ की परम्परा का इतिहास
भाप अपने पट्ट पर किसी योग्य मुनि को सूरिपद प्रदान करें, कारण आपकी अवस्था पर्याप्त हो चुकी है। पड़ी कृपा होगी कि यह लाभ यहां के श्रीसंघ को प्रदान करें। श्रीसूरिजी ने भी संघ की प्रार्थना को समयोचित समझ कर स्वीकार करली ।
प्राग्वट्ट वंशीय शा. कुम्भाने सूरिपद का महोत्सव बड़े ही समारोह से किया । श्री आचार्यदेव ने भी अपने सुयोग्य शिष्य उपाध्याय मेरुप्रभ को भगवान महावीर के मंदिर में सूरिपद से विभूषित कर आपका नाम देवगुप्त सूरि रख दिया । शा. कुम्भा ने भी इस महोत्सव निमित्त पूजा-प्रभावना, स्वामी वात्सल्य और आये हुए स्वधर्मी भाइयों को पहिरावणी वगैरह देकर पांचलक्ष्य द्रव्य व्यय से जैन शासन की खूब उन्नति एवं प्रभावना की।
प्राचार्य कक्कसूरिजी ने अपने गच्छ के सम्पूर्ण उत्तरदायित्व को देवगुप्तसूरिके सुपुर्दकर श्राप अंतिम मैलेखना में संलग्न होगये। यह चातुर्मास भी श्रीसंघ के आग्रह से चंद्रावती में कर दिया गया। जब आप श्री ने अपने ज्ञान वल से अपने देहोत्सर्ग के समय को नजदीक जान लिया तो श्रीसंघ के समक्ष आलो. चना कर समाधिपूर्वक २४ दिन तक अनशन व्रत की आराधना कर पंच परमेष्टि के स्मरणपूर्वक स्वर्गधाम पचार गये।
प्राचार्य कक्कसूरिजी महाराज महान् प्रभाविक प्राचार्य हुए हैं आपने अपने ४३ वर्ष के शासन में अनेक प्रान्तों में विहार कर जैनधर्म की आशातीत सेवा की। पूर्वाचार्यों के द्वारा संस्थापित महाजन Jश एवं भमण संघ में खूब ही वृद्धि को। श्राप द्वारा किये हुए शासन कार्यों का वंशावलियों एवं पट्टावलियों में सविस्तार वर्णन है पर प्रन्थ बढ़जाने के भय से यहां संक्षिप्त नामावली मात्र लिख देता हूँ
पूज्याचार्य देवके ४३ वर्षों के शासन में भावुकों की दीक्षाए १- कवलियां के भूरि गौत्रीय शाह देदो सूरिजी के पास दीक्षा ली २-खेटकपुर के बाप्पनाग , , मेधो ३-गोदाणी के चरड़ , लाडुक ४-विजापुर के भाद्र
, नारायण ५-हर्षपुर के प्राग्वट वंश , , नाथो ६-बीजोड़ा के , ,,
,, चोरवो ७-भवानीपुर के श्रादित्य ,
साहराणा ८-माडव्यपुर के , "
" फागु ९-- पद्मावती के श्रीमालवंश , , नोदो १०-चंदेरी के बोहरा , , चांपी ११-वदनपुर के बलाहारांका , , चतरो १२ -श्राघाटनगरके सुचंति , , दुर्गों १३-नागपुर के कुमट , , राणो १४-~-मुग्धपुर के कनौजिया , , रायपाल
सूरिश्वरजी के शासन में दीक्षाएं
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