Book Title: Bhagwan Parshwanath ki Parampara ka Itihas Purvarddh 02
Author(s): Gyansundarvijay
Publisher: Ratnaprabhakar Gyan Pushpamala Falodi
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आचार्य ककारि का जीवन ]
(ओसवाल सं० ११७८-१२३७
___ तथा जाति मदादि करने से नीचगौत्र और मदादि न करने से उच्चगौत्र में उत्पन्न होता है। और व्यवहारों में भी गौत्र मानने से जैन इन्कार नहीं करते हैं पर संगठन के टुकड़े टुकड़े करने वाड़ाबन्दी के गौत्र मानने को जैन तैयार नहीं है जोकि ब्राह्मणों ने अपने स्वार्थ के लिए बनाए थे।
५--जानियाँ - जातियों की स्पष्टि भी हमारे ऋषियों के मस्तिष्क की उपज है जब कि ब्राह्मण देवों को वर्ण, गौत्रों में पूर्ण संतोष नहीं हुआ तब उन्होंने जातियों की सृष्टि की रचना प्रारम्भ कर दी तो इतनी जातियों रच डली के जनता के लिये एक बड़ी जाल ही सिद्ध हुई और मकड़ी की तरह जनता उन जातियों के जाल में बुरी तरह प.स गई कि कभी उस जाल से मुक्त हो ही नहीं सकती । पाठक ! एक औसनार्षि की 'श्रीसनस्मृ' को उठा कर देखिये कि उसमें जातियों की उत्पत्ति किस भाँति बतलाई है, नमूने के बतौर पर कुछ दाहरण नीचे दिये जाते हैं:---
१....क्षनी से ब्राहा कन्या का विवाह हो जिससे प्रजा उत्पन्न हो वह सूत जाति कहलाती है। २- सू से ब्राह्मण कन्या का विवाह हो जिससे प्रजा उत्पन्न हो वह वेणुक जाति कहलाती है। ३-सूत मे क्षत्रीय कन्या का विवाह हो जिससे प्रजा उत्पन्न हो वह चमार जाति कहलाती है । ४-क्षत्री चौरीसे ब्राह्मण कन्याका विवाह हो जिससे प्रजा उत्पन्नहो वह रथकार सुतार जाति कहलाती है। ५-वैश्य से ब्राह्मण कन्या का विवाह हो जिससे प्रजा उत्पन्न हो वा भाट जाति हिलाती है। ६- शूद्र से ब्राह्मण कन्या का विवाह हो जिससे प्रजा उत्पन्न वह चाण्डाल जाति कहलाती है। ७--चाण्डाल से वैश्य का विवाह हो जिससे प्रजा उत्पन्न हो वह श्वापच जाति कहलाती है। ८--वैश्य से क्षत्री कन्या का विवाह हो जिससे प्रजा उत्पन्न हो वह जुलाहा जाति कहलाती है ।
--जुलाहा से ब्राह्मण कन्या का विवाहहो जिससे प्रजा उत्पन्न हो वह ठठेरा जाति कहलाती है। १०.--जुलाहा से क्षत्री की कन्या का विवाह हो उससे प्रजा उत्पन्न हो वह सुनार जाति कहलाती है । ११-सुनार से क्षत्री की कन्या का विवाह हो जिससे प्रजा उत्पन्न वह उद्वधक जाति कहलाती है । १.-वैश्य जार से क्षत्री कन्या का विवाह हो जिससे प्रजा उत्पन्न हो व पुलंद जाति कहलाती है। १३-शुद्र से क्षत्री कन्या का विवाह हो जिससे प्रजा उत्पन्न हो वह कलाल जाति कहलाती है। १ -पुलंद से वैश्या कन्या का विवाह हो जिससे प्रजा उत्पन्न हो वह रज 5 जाति कहलाती है। १५-शुद्र जार से क्षत्री कन्या का विवाह हो उससे प्रजा उत्पन्न हो वह रंगरेज जाति कहलाती है। १६-रजक से वैश्य की कन्या का विवाह हो जिससे प्रजा उत्पन्न हो वह नट जाति कहलाति है। १७-शुद्र से वैश्य कन्या का विबाह हो जिससे प्रजा उत्पन्न हो वा गडरिया जाति कहलाती है । १८-- गडरिये से ब्राह्मण कन्या का विवाह हो जिसो प्रजा उत्पन्न हो चमोपजीवी जाति कहलाती है। १९-गहरिये से क्षत्रिय कन्या का विवाह हो जिससे प्रजा उत्पन्न हो वह दरजी जाति कहलाती है। २०-गुद्र जार से वैश्य कन्य का विवाह हो प्रजा उत्पन्न हो वह तेली जाति कहलाती है। २१-ब्राह्मणा विधीसे क्षत्रीय कन्याका विवाह हो जिससे प्रजा उत्पन्न हो वह सेनापति जाति कहलाती है। २२ --ब्राह्मण जार क्षत्रिय कन्या का विवाह हो जिससे प्रजा उत्पन्न हो वह भेषज जाति कहलाति है। २३. ब्राह्मण विधि० क्षत्रिय कन्या का विवाह हो जिससे प्रजा उत्पन्न हो वह नृप जाति कहलाती है।
२४-राजा से क्षत्री कन्या का विवाह हो जिससे प्रजा उत्पन्न हो वह गूढ़ जाति कहलाती है । जातियों की उत्पति Jain Education 8 tional
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