Book Title: Bhagwan Parshwanath ki Parampara ka Itihas Purvarddh 02
Author(s): Gyansundarvijay
Publisher: Ratnaprabhakar Gyan Pushpamala Falodi
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जैन मूर्तियों पर के शिलालेख ]
[ भगवान् पार्श्वनाथ की परम्परा का इतिहास
२३३-सं० १५३१ वर्षे ज्येष्ट सुदि ३ उपकेश ज्ञातौ श्रेष्टि धनपाल भार्या मेनी सुत लखमसी भार्या फडू सुत वानर देधर धर्मा मांडण भ्रातृ हेमाकेन भार्या वर्जू प्रमुख कुटम्बयुक्तेन स्वश्रेयसे श्रीअजितनाथ बिंबं का० प्र० श्री कक्कसूरिभिः (त्राभ्राग्रामे)
धातु नम्बर १२६० २३४ ---संवत् १५३७ वर्षे पौष बदी १० बुधे उपकेश श्रेष्टि धर्मा भार्या मेतु पुत्र रतना भार्या दुबी पुत्र नाथाकेन भार्या ....."पुत्र हरसा पद्मा की कादि सहितेन स्वश्रेयसे भार्या वर्धन निमित मूल नायक श्रेयसे प्रमुख चतुर्विंशति पट्ट कारिवितः उकेशगच्छे श्रीसिद्धाचार्य संताने श्रीककसूरिभिः आचार्यः श्री धनवर्धनसूरि प्रमुख परिवार सहितेन प्रतिष्ठितं
धातु नम्बर ३२ २३५---संवत् १५३६ .........."उकेशज्ञा० चो........"साह गोगा भार्या गोगादे पुत्र......... देवा हरपाल'......"आदि........"का० प्र०......"देवगुप्त ..........
२३६-संगत् १५४२ वर्षे माघ सुदि १३ उपकेशज्ञातौ भद्रगोत्रे समदड़िया शाखायां साह काना भार्या केली पुत्र लाला वाला रामा जइता सहितेन स्व मातृ पितृ श्रेयसार्थ श्री विमलानाथ बिंबं का० प्र० श्री सिद्धाचार्य संताने भ० देवगुप्तसूरिभिः ।
धातु नम्बर २३७-सं० १५......."वै०..........."प्राग्वटगो.................रांणा केन श्री..................... प्र............."सिद्धसूरिभिः।।
२३८-सं० १४४३ वर्षे वैशाख सुदि ७ उपकेश ज्ञातौ साह खीमा भार्या खेमाई पुत्र रणमल पुत्र भीमाकेन मातृ पितृ श्रेयसार्थ श्रीचन्द्रप्रभ विंब का०प्र० श्रीउपकेशगच्छे सिद्धाचार्य संताने श्रीककसूरिभिः । श्री.
२३६----सं० १३७१ वर्षे माघ सुदि १४ सोमे उपकेशवंशे बेसट गौत्रीय साह सलवण पुत्र साह अजड़ तनीय साह गोसल भार्या गुणमति कुक्षि सम्भवेन संघपति श्राशधरानुजेन साह लूणसाहागजेन संघपति साधु श्रीदेशलेन पुत्र साह सहजपाल साह सहणपाल साह सांमत साह समर साह सांगण प्रमुख कुटम्ब समदायोपेतेन निज कुलदेवी श्रीसचिका मतिः कारिता यावद व्यम्रि चन्दाऊ यावन्मेरुमर्ह श्रीसच्चिकामूर्तिः।
२४०-सं० १३७१ वर्षे माघ सुदि १४ सोमे श्रीमद् उपकेशवंशे वेसट गोत्रे साह सलखण पुत्र साह अजड़ तनय साह गोसल भार्या गुणमती कुक्षि समुत्पन्न संघपति साह आशघरानुजेन साह लूणसीहाप्रजेन संघपति साधु श्रीदेशलेन साह सहजपाल साह साहणपाल साह सामंत साह समरसिंह साह सांगण साह सोम प्रभृति कुटम्ब समुदायोतेन वृद्ध भ्रातृ संघपति आशधार मूर्ति श्रेष्टि माढल पुत्री संघपति रत्री श्रीमूर्ति समन्वता कारिता आसधर कल्पतरू'....."युगदिदेव प्रणमति ।
२४१-सं० १३७१ वर्षे माघ सुदि १४ सोमे........"रांणकजी महिपालदेव मूर्ति संघपति श्रीदेशलेन कारित्ता श्रीयुगादिदेव चैते x x
उपरोक्त तीनों शिलालेख प्राचीन लेख संग्रह द्वितीय भाग ४४-४५ लेखांक ३४-३५-३६ मुद्रित हुए हैं।
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उपकेशगच्छाचार्यों द्वारा मन्दिर मूर्तियों की प्रतिष्ठा ...
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