Book Title: Bhagwan Parshwanath ki Parampara ka Itihas Purvarddh 02
Author(s): Gyansundarvijay
Publisher: Ratnaprabhakar Gyan Pushpamala Falodi
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भगवान् पार्श्वनाथ की परम्परा का इतिहास ]
[मुख्य २ षटनाओं का समय
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वहाँ के राजा उदाई को दीक्षा दी वर्ष भ० बनारस पधार कर कोटाधीश चूलनीपिता और सूरादेव को सस्त्रियों के गृहस्थ धर्म
और प्रालंभिया नगरी में पोग्गल सन्यासी को जैन दीक्षा दी ( पाँचवाँ ब्रह्मदेव लोक की मान्यता वाला) वहाँ चूलशतक सस्त्री श्रावक व्रत लिये भ० राजगृह नगर में पधारे राजा श्रेणिक ने दीक्षा के लिये उद्घोषणा की जिससे राजा श्रेणिक के २३ पुत्र तथा नन्दा सुनन्दादि १३ रानियां और कई राजकुमारों ने दीक्षा ली और
आद्रक कुमार और गोसाल का सम्बन्ध , बालम्बिया नगरी का ऋषीभद्र पुत्र श्रावक की प्रशंसा तथा मृगावती शिवा राणियों को
भगवान ने दीक्षा दी भ० महावीर ने काकन्दीनगरी के धन्ना सुनक्षत्रादि को दीक्षा दी तथा कुडकोलीक व शकडाल पुत्र को श्रावक के व्रत दिमे भ० महावीर ने राजगृह के महाशतक को श्रावक के व्रत पार्व संतानियों को पांच महाव्रत
रोहा मुनि के प्रश्न , भ० महावीर ने श्रावस्ति नगरी के नन्दनीपिता शालनीपिता को श्रावक धर्म दिया या रकंदिल
सन्यासी को दीक्षा दी भ० महावीर का शिष्य जमाली ५०० मुनियों को लेकर अलग विहार किया, कौसम्बी में सूर्य चन्द्र मूलगे रूप आये, और अभय मुनि का अनसन ।
भ. महावीर चम्पानगरी पधार कर श्रेणिक के पौत्रे पद्मादि दशों को दीक्षा दी ,, चेटक कूणिक का भयंकर युद्ध । काली आदि १० रानियों ने भ० के पास दीक्षा ली ,, हल्ल विहल राजकुमारों की दीक्षा भगवान् गोसाला का मिलाप जमाली का मतभेद
केशी गोतम का सम्बाद शिवराजर्षि के सात द्वीप सातसमुद्र का स० और दीक्षा
गोसला के १२ श्रावक । भ० श्रावकों के पन्द्रह कर्मादान का वर्णन ४६ भंगा प्रत्या० , भ० महावीर ने शाल महाशाल को दीक्षा, कामदेव का उपसर्ग, सोमल के प्रश्न, , भ. महावीर कपिलपुर पधारे अंबड सन्यासी ने श्रावक व्रत लिया।
महावीर के पास पार्श्व संतानिया गंगइयाजी ने प्रश्न कर चार के पांच महाव्रत लिये मंडुक श्रावक के अन्य तीर्थियों से प्रश्नोत्तर हुए जाली मयाली आदि मुनियों का विपुल गिरि पर अनसन सुदर्शन सेठ का काल के विषय प्रश्न आनन्द का अनसन गोतम का आनन्द के पास जाना जिनदेव के जरिया राजा कीरात का भगवान के पास आना और उसकी दीक्षा अचित पुद्गल भी प्रकाश कर सकते हैं । प्रश्नोत्तर होद का पानी अचित सचीत, महाशतक श्रावक और रेवती का उत्पात
भ० महावीर के कई गणधरों की मोक्ष यहाँ तक ६ गणधरों की मोक्ष होगई थी , भ० महावीर के पास पावापुरी में काशी कौशल के १८ राजाओं ने पौषध व्रत किये
भ० महावीर की १६ पहेर अन्तिम अपुठ वागरण , भ० महावीर ने गोतम को देव शर्मा को प्रतिबोध करने को भेज दिये , भ. महावीर कार्तिक कृष्णा अमावस्या की रात्रि में निर्वाण-मोक्ष पधार गये
पार्श्व संतानियों के चतुर्थ पट्टयर के शीश्रमणाचार्य की मोक्ष
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