Book Title: Bhagwan Parshwanath ki Parampara ka Itihas Purvarddh 02
Author(s): Gyansundarvijay
Publisher: Ratnaprabhakar Gyan Pushpamala Falodi

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Page 834
________________ भगवान् पार्श्वनाथ की परम्परा का इतिहास ] [ मुख्य २ घटनाओं का समय wwwnwww ६०४ ६३१ ६४५ ६६४ ६७६ ६८० ६८४ ७१० ७२० ७२४ ७३० ७३३ ७३४ , श्राचार्य कक्कसूरि का पद त्याग और देवगुप्तसूरि गच्छ नायक , खाशाह ने गिरनार तीर्थ पर सोने का मन्दिर रत्नों की मूर्ति की प्रतिष्ठा करवाई , आचार्य देवगुप्तसूरि का पद त्याग और सिद्धसूरि गच्छ नायक युगप्रधानाचार्य जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण-आगमों पर भाग्य बनाये आचार्य सिद्धसूरि का पद त्याग और ककसूरि गच्छ नायक थाणेश्वर में हर्षवर्धन का राज्याभिषेक हीजरी सम्वत् का प्रारम्भ समय श्राचार्य कक्कसूरि का पद त्याग और देवगुप्रसूरि गच्छ नायक आचार्य देवगुतमूरि ने राव गोसल भाटी को जैन बनाया आर्य जाति कहलाई राव गोसल भाटी जैन ने गोसलपुर नगर अाबाद किया गोसलपुर में आचार्य देवगुप्रसूरि का चातुर्मास हुआ आचार्य रविप्रभसूरि नाडोलाई में नेमि चैत्य की प्रतिष्ठा करवाई युगप्रधानाचार्य उमास्वाति चतुर्थ कालकाचार्य ( रत्न संचिय की गाथा से) शंखेश्वर के राजा ने जैन धर्म स्वीकार किया आचार्य देवगुपसूरि का पद त्याग और सिद्धिसूरि गच्छ नायक प्राचार्य स्वातिसूरि से पूर्णिमा की पाक्षी चतुर्दशी को होने लगी जिनदास महत्तर आगमों पर चूर्णियों की रचना की , जिनदास गणि-चूर्णिकार आचार्य सर्वदेवसूरि विद्यमान राजकुमार शंक की जैन दीक्षा ‘जयन्त राजा ......की गादी पर राजा हुआ कुमरिल भट्ट की विद्यमानता तथा मतान्तर.. शंकराचार्य की विद्यमानता दोनों समकालीन राजा भाण के काका की दीक्षा और सोमप्रभाचार्य नाम आचार्य उदयप्रभ सूरि को सूरिपद आचार्य उदयप्रभसूरि ने भीनमाल के ६२ कोटाधीशों को जैन बनाये राजा भाण को उदयप्रभसूरि ने जैनधर्म की दीक्षा दी प्राचार्य सिद्धसूरि का पद त्याग और ककसूरि गच्छ नायक युग प्रधानाचार्य पुष्पमित्र सूरि भाण राजा का जयमल ओसवाल की पुत्री रत्नाबाई से विवाह मतान्तर ....... राजा भाण का तीर्थयात्रार्थ शत्रुञ्जय का संघ आचार्यों की मर्यादा का लिखत और वंशावलियां लिखना प्रारम्भ भिन्नमाल के २४ ब्राह्मणों को जैन बनाना और सेठिया जाति प्राचार्य बप्पभट्टिसूरिका जन्म प्राचार्य शीलगण सरि का उपदेश से बनराज चावडा का जैन होना राज चावड़ा का जैन होना बनराज चावड़ा ने पाटण नगर को श्राबाद किया ७३५ ७४५ ७४६ ७५० ७५० ७६० ७७५ ७७५ ७७८ ७८० ७६० ७६५ ७६५ ८०० ८०२ www.rawwwwwwwwwwwwww wwwwwwwwwwmaram Jain Education Ingeslona For Private & Personal Use Only www.jaineilbrary.org

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