Book Title: Bhagwan Parshwanath ki Parampara ka Itihas Purvarddh 02
Author(s): Gyansundarvijay
Publisher: Ratnaprabhakar Gyan Pushpamala Falodi
View full book text
________________
भगवान् पार्श्वनाथ की परम्परा का इतिहास ]
[ मुख्य २ घटनाओं का समय
२४६ २५३ २४६ ३८८
२६०
२६१
२६३ ३०० ३०४ ३०५ ३१३ ३३४ ३३५
३३५
३३६ ३४५ ३७३
वर्ष प्रार्य,महगिरि का गजपद पर स्वर्गवास , श्राचार्य सिद्धसूरि का पद'त्याग और रनप्रभसूरि गच्छ नायक , सम्राट सम्प्रति ने उज्जैन में आर्य सुहस्ती सूरि द्वारा जैनधर्म स्वीकार किया , आचार्य रनप्रभसूरि का पद त्याग और यक्षदेव सूरि गच्छ नायक पद
श्रावंती सुखमाल की दीक्षा आर्य सुहस्ती के करकमलों से पावंती पार्श्वनाथ का मन्दिर महाकाल ने बनाया जिस पर ब्राह्मणों ने लिंग स्थापन आर्य बलिसिंह जो आ> महागिरि के पट्टधर का स्वर्गवास श्रार्य सुहस्ती सूरि का पद त्याग आर्य सुस्थी-सुप्रतिबोध संघ नायक
सम्राट् सम्प्रति का पद त्याग और वृद्धरथ का राज मत्तान्तर ३०० वर्षे , सम्राट् खारबेल कलिंगपति इसके लिये बहुजनों का मतभेद है।
मौर्यराजा वृद्धरम को धोखे से मार पुष्प मित्र मगद का राजा बना पुष्प मित्र का जैन बोद्धों पर अत्याचार एक मस्तक काटने वाले को १०० दिनार सम्राट खारबेल का पद त्याग और वक्रराय का राज्याभिषेक
आर्य यक्षदेवसूरि का पद त्याग और कक्कसूरि गच्छ नायक ,, आय्ये उमास्वति जिन्होंने तत्वार्थ सूत्र बनाया , युगप्रधानाचार्य गुणसुन्दर सूरि
आर्य सुस्थीसूरि रांका सेठ ने कांकसी के कारण वल्लभी का भंग करवाया उपकेशपुर में महावीर मूर्ति के ग्रन्थ छेद का उपद्रव्य उपकेशपुर में आचार्य कक्कसरि के अध्यक्षत्व में शान्ति स्नात्र में १८ गौत्र के स्नात्रिय
आचार्य श्यामाचार्य पन्नवणा सूत्र के कर्ता , श्राचार्य कक्कसूरि का पद त्याग और देवगुप्तसूरि गच्छ नायक , युगप्रधानाचार्य रकन्दिल सूरि
मगद के सिंहासन नभवहान का राज धार्या दिन-संघ नायक पद पर युगप्रधान आचार्य रेवती मित्र आचार्य खपटसूरि मत्तान्तर ४८४ वर्ष कालकाचार्य की बहिन साध्वी सरस्वती का अपहरण कालकाचार्य ने म्लेच्छ देश से सैना लाकर गर्दभील को सजा दिलाई उज्जैन पर शक राजाओं का अधिकार ( मतान्तर ४६६) बलमित्र भालुमित्र का भरोंच में राज इन्होंने उज्जैन पर भी ८ वर्ष राज किया कालकाचार्य ने पंचमी की सांवत्सरी चतुर्थी को की प्रतिष्ठितपुर के राजा के कारण
आचार्य देवगुप्तसूरि का पद त्याग और सिद्धसूरि गच्छ नायक , आचार्य पादलिप्त का शिष्य नागार्जुन ने पादलिप्तपुर नगर बसाया , आचार्य कालक ने उज्जैन का भंग करवाया उज्जैन पर शकों का राज मतान्तर है , युगप्रधानाचार्य मांगु , भगवान महावीर' के निर्वाण को ४७० वर्ष हुए
३७३
३७६
३६१
४१४ ४१३
४५०
४५३
४५३
४५३
४५३
४५३
४५ ४६४
४६७ ४७०
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
w९६५७ary.org