Book Title: Bhagwan Parshwanath ki Parampara ka Itihas Purvarddh 02
Author(s): Gyansundarvijay
Publisher: Ratnaprabhakar Gyan Pushpamala Falodi

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Page 809
________________ जैन मूर्तियों पर के शिलालेख] [ भगवान् पार्श्वनाथ की परम्परा का इतिहास भार्या २ पुडुती खाणिकदे सुत गेला वेला किकादिभिः सहितेन स्व श्रेयसे श्रीमुनि सुव्रत चतुर्विंशति पट्टः का० श्री षिवं दणिकाच्छे श्रीसिद्धाचार्य सन्ताने प्र० श्रीककसूरिभिः । ऊना....." वास्तव्य । धातु लेखांक १५७ ११-सं० १५२४ वर्षे वैशाख सुदि ३ विद्यापुरवासी श्री श्रीमाल ज्ञा० सं० लखमीधर भार्या माँगू पुत्र कडू भार्या बीजू नाम्न्या स्वश्रेयोऽर्थं श्री सम्भवनाब बिंबं कारितं प्रतिष्ठितं.................(द्विवंदनीक ) गच्छे श्री...""""सूरिभिः । जैन धातु प्र० ले० सं० भाग दूसरा लेखांक ३५० . १२-सं० १५३१ वर्षे माह बदि ८ सोमे प्राग्वाट ज्ञातीय मंत्रिमंडलिक भार्या डाही पुत्र वरसिंह भार्या वईजलदेयुतेन श्रीश्रेयांसनाथ बिंबं कारितं प्रतिष्ठितं द्विवंदनीकगच्छे भ० सिद्धसूरिभिः। जैन धातु प्रतिमा लेख सं० भाग दूसरा लेखांक ५०६ १३-संवत् १५६० वर्षे वैशाख सुदि ३ दिने ओसवाल ज्ञा० लघु संताने सं० ईचाण भार्या संपूरी सुत मं० गोविंद भार्या गंगादे सुतसहितेन स्वश्रेय से श्रीकुंथुनाथ बिंब का० श्री द्विवंदनीकगच्छे सिद्धाचार्य संताने प्रतिष्ठितं श्रीकक्कसूरिभिः पेटकग्रामवास्तव्यः ॥ जैन धातु प्रतिमा लेख संग्रह भाग दूसरा लेखांक ७२५ १४-संवत् १५६१ वर्षे ज्येष्ठ सुदि २ बुधे श्रीप्राग्वटवंशे वृद्धशाखायां संघपति कुझा भार्या गुरुदे पुत्र सं० हंसराज भार्या हांसलदे सुश्राविकया पुत्र सं० हर्षा मुख्य कुटुम्बसहितया निज श्रेयोऽर्थं श्रीसुविधिनाथ बिंबं का० प्रति० श्रीकक्कसूरिभिः श्रीस्तंभतीर्थे । जैन धातु प्रतिमा लेख संग्रह भाग दूसरा लेखांक ६६१ १५-संवत् १५६७ वर्षे वैशाख सुदि १० दिने प्रोसवाल ज्ञातीय मं० समधर भार्या कीकी पुत्र मं० नाथा भार्या चंगी पुत्र मं० नारद मं० नरबद द्वितीया भार्या पूतली पुत्र राजपाल सहिजपाल तृतीया भायो रही पुत्र वस्तुपाल सहितेन स्वश्रेयोऽर्थं श्री श्री श्री वासुपूज्य बिंबं कारितं प्रतिष्ठितं श्री द्विवंदनीकगच्छे सिद्धाचार्ये भ० श्रीदेवगुप्रसूरिभिः मंडलग्रामे वास्तव्यः ।। धातु लेखांक ६६८ १६--सं० १५८६ वर्षे वैशाख सुदि १२ सोमे प्रावट ज्ञातीय श्रे० गोविंद भार्या गौरी पुत्र नरपाल भार्या 'वी:पुत्र नाकर भार्या पना "रदे कुटुम्बयुतेन श्रीसंभवनाथ बिंब कारितं प्रतिष्ठितं द्विवंदनीकगच्छे भ० श्रीककसूरिभिः ।। जैन धातु प्रतिमा लेख संग्राह भाग दूसरा लेखांक ७२१ १७-संवत् १५७० कार्तिक बदि ५ गुरौ ओसवाल ज्ञातौ श्रे० धनपाल भार्या हालू पुत्र श्रे० लेखा भार्या लखमादे पुत्र साह लाटा भार्या भानू सहितेन स्वश्रेय से श्रीश्रयंसनाथ बिंबं का० श्रोद्विवंदनी कगच्छे सिद्धाचार्य संताने प्र० श्रीदेवगुप्तसूरिभिः । डिडवाणे वास्तव्यं ॥ धातु प्रतिमा नम्बर १०७८ १७-संवत् १५२१ वर्षे वैसाख सुदि ३ गुरौ ओसवाल ज्ञातीय वृहत्संतानीय थे. वीरा भार्या वल्हादे सुत खेता गुणीश्रा खेता भार्या धकु गुणीश्रा भार्या गंगादे खेताकेन पितृ व्यहोरा निमित श्री विमलनाथ बिंबं का० प्र० श्रीद्विवन्दनीकगच्छे श्री देवगुप्तसूरिणां पट्टे श्रीसिद्धसूरिभिः। धातु प्रथम भाग लेखांक १०२ १८-संवत् १५२१ वर्षे वैशाख सुदि ३ गुरौ ओसवाल ज्ञातीय वृहत्संताने श्रे वीरा भार्या वल्डादे पुत्र खेता गुणीश्रा खेता भार्या अधकू स्वकुटम्ब युक्तेन स्वपितृ मातृ श्रेयोर्थ श्री शीतलनाथ विबं का०प्र० द्विविन्दनीकगच्छे श्री देवगुप्तसूरिणां पट्टे श्री सिद्धसूरिभिः। धातु प्रथम भाग लेखांक १११ १६-संवत् १५१६ वर्षे चैत्र बदि ४ गुरौ श्रोसवाल ज्ञातीय दोसी सोघा भार्या मचकु पुत्र दो० जयलकेन भार्या पुरी पुत्र भीमा सहादेभ्यां सहितेनात्म स्वमातृ पितृ श्रेयोर्थ कारितं प्रतिष्टितं श्रीसूरिभिः । धातु प्रथम भाग लेखांक ६४ १५३६ . उपकेशगच्छाचार्यों द्वारा मन्दिर मूर्तियों की प्रतिष्ठा wwwwwwwwwwwwwww. Jain Education International For Private & Personal use only www.jainelibrary.org

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