Book Title: Bhagwan Parshwanath ki Parampara ka Itihas Purvarddh 02
Author(s): Gyansundarvijay
Publisher: Ratnaprabhakar Gyan Pushpamala Falodi
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आचार्य देवगुप्तसूरि का जीवन ]
[ओसवाल सं० १२३७-१२६२
४-सोपार पट्टन से श्रीमाल सांगा ने ५-ताम्बावती से रांका नरसिंग ने ६-चंदेरी से करणावट लाधासोभा ने ७-आघाट नगर से पारख आल्हण ने ८-भवानीपुर से नाहटा जोगड़ ने ६-खटकूप नगर से कनोजिया हरपाल ने १०-मथुरापुरी से भुरंट देदा काना ने ११-मालपुर से सुचेति कुम्भा रामा ने १२-भद्रावती से प्राग्वट नाथा ठाकुरसी ने १३-शिवनगर से मंत्री कोरपाल ने १४-बनारसी से समदड़िया गजा ने श्री सम्मेत शिखरजी का संघ निकाला १५-खंडेला नगर से श्रीमाल सूरजन ने श्री शत्रुञ्जय १६–पाल्हिका से भटेवराथाना ने १७-कोरटपुर से प्राग्वट राजा ने १८-पद्मावती से प्राग्वट कंपा ने १६-नागपुर के तांतेड़ गोमा ने सं० ८४७ में दुष्काल पड़ा उसमें करोड़ द्रव्य व्यय कर देश वासी
भाइयों एवं निराधार पशुओं के प्राण बचाये। २०-पाल्हिका के प्राग्वट रामाने सं० ८५२ में बड़ा भारी दुष्काल पड़ा जिसमें करोड़ों द्रव्य व्यय किये २१-उपकेशपुर के श्रेष्ठि गोपाल ने सं०८६४ में भयंकर दुष्काल पड़ा उसमें मनुष्यों को अन्न पशुओं ___ को घास दिया। २२-मेदनिपुर के जाघड़ा रावल ने एक वापी बनाई जिसमें एक लक्ष द्रव्य खर्च किया। २३–ब्रह्मपुरी के श्रीमाल कर्मा की विधवा पुत्री धापी ने एक तलाब बनाया असंख्य द्रव्य लगाया। २४-जोगणीपुर के चंडालिया नेणसी की माता ने एक तलाब एक वापि खुदाई जिसमें बहुत द्रव्य
व्यय किया। २५-उपकेशपुर के देसरड़ा भीमसिंह युद्ध में काम आया उसकी औरत शृंगारदे सती हुई छत्री पूजिजे । २६-चन्द्रावती रामा जिस युद्ध में काम आया उसकी स्त्री भोली सती हुई छत्री माघ नौवी को। २७–राजपुरा का मंत्री राणक युद्धमें काम आया उसकी स्त्री सुगनी सती हुई छत्री वैशाख वद ३ मैला इत्यादि वंशावलियों से संक्षिप्त से नामावली मात्र लिखी गई है। सचेती कुन तिलक आप थे, पट्ट तेतालीसवा पाया था।
देव गुप्त सूरीश्वर जिन का, देवों ने गुण गाया था । भूपति भ्रमर चरण कमलों में, झुक झुक शीश नमाते थे ।
विद्वता की धाक सुनकर, बादी सब घबराते थे। ॥ इति भगवान पार्श्वनाथ के पट्ट तेतालीसवें आचार्य देवगुप्त सूरीश्वर महान् प्रतिभाशाली प्राचार्य हुए ।।
सुरीश्वरजी के शासन में संघादि शुभ कार्य
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