Book Title: Bhagwan Parshwanath ki Parampara ka Itihas Purvarddh 02
Author(s): Gyansundarvijay
Publisher: Ratnaprabhakar Gyan Pushpamala Falodi
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वि० सं० ११२८-११७४ ]
[ भगवान् पार्श्वनाथ की परम्परा का इतिहास
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कनोजिया,
१६-लालपुर के चोरड़िया जाति के शाह धर्मा ने भ० महावीर के मन्दिर की प्र० २०-मथुरापुरी करणावट
गोरा ने , " " २१-रंणथंभोर संचेती
थेरु ने , " " २२-हंसावली श्रेटि
इगो ने , " " २३-अजयगढ के पोकरणा ,
पेथा ने ,, सीमंधर , २४-शंकम्भरी के चौहान ,
वख्ता ने ,, भवि तीर्थक्कर , २५-पद्मावती
प्राग्वट
, वीरम ने , महावीर भाचार्यश्री के ४६ वर्षों के शासन में संघादि शुभ कार्य १-सोपार पटण से श्रेष्टि जाति के मोकल ने श्री शत्रुञ्जय का संघ निकाला २-अणहिल्ल पटण से
चोरड़िया ,
जिनदास ने ३-देवपटण से संचेती
मालदेव ने ४-चन्द्रावती चंडालिया
छाजू ने ५-कोरंटपुर भाला
पोकर ने ६-भीनमाल
मल्ल
बाहड़ार ने ७-सत्यपुरी घटिया
नेणसी ने ८-नारदपुरी छाजेड़
लाखण ने है-कीरादकुम्प से
अज्जड़ ने १०-डमरेलनगर ११-मालपुर
कुम्मद १२-उपकेशपुर
जांघड़ा
करमण ने १३-नागपुर
रांका
धोकल ने १४-खटकूप
तातेड़
लाल्ला ने १५-विजयपट्टण भुरंट , गोरधन ने सं० ११४४ के दुष्काल में लाखों के प्राण बचाये। १६-उज्जेन
ढेढिया , धन्ना ने सं० ११५६ के दुकाल में करोड़ों द्रव्य व्यय किया। १७-माडवगढ
समदड़िया ,, साँखला की माता ने एक वाबडी बंधाइ लाखों का व्यय किया। १८-चित्रकोट
पोकरणा , राजा की पुत्री मानी ने शत्रुकार दिया एक कुवा बनाया । १६-पालिका प्राग्वट , मंत्री रणधीर युद्ध में काम पाया आपकी स्त्री सती हुई। २०-मेदिनीपुर से ___ श्री श्रीमाल , हर्षेण , " " २१-राजपुर के प्राग्वट , पनो " , " २२-दात्तीपुर के श्रीमाल , नारायण , , ,
पट्ट पचासवें सिद्ध सुरीश्वर, गदइय जाति के वीर थ ।।
भात्म बज विवगुण पूरण, सागर जैसे गंभीर थे । वीर सरि भवहा गच्छ के, जिनका द्रव्य हटाया था।
कदर्षि ने मन्दिर बनाया प्रतिष्ठा कर यशः पाया था। इति भगवान पार्श्वनाथ के पचासवें पट्ट पर प्राचार्य सिद्धसूरि महान अतिशयधारी आचार्य हुए। Jain E U Cernational
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गोपाल ने सुजाण ने
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