Book Title: Bhagwan Parshwanath ki Parampara ka Itihas Purvarddh 02
Author(s): Gyansundarvijay
Publisher: Ratnaprabhakar Gyan Pushpamala Falodi
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आचार्य सिद्धसरि का जीवन
[ओसवाल सं० १५२८-१५७४
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फूत्राने
८-राजपुर
तोडियाणी जाति के शाह चुड़ा ने सूरिजी के पास दीक्षा ली ६-खटकूप नाहटा
रोड़ा ने १०-डिडुपुर रांका
पाता ने ११-अजयगढ़ भुरंट
साहरण ने १२-शाकम्मरी सुरवा.
गोगा ने १३-मेदिनीपुर काजलिया
केसा ने १४-पाली काग
नोंधाण ने भाला
लांडुक ने १६-माडव्यपुर ढेढिया
सुखा ने १७-कोरंटपुर देसरड़ा
भाणा ने १८-डामरेल कुम्मट
भाला ने १६-रेणुकोट पोकरणा
गुणाढ़ ने २०-मालपुर जांघड़ा
रावत ने २१-भोजपुर संचेती
लाधा ने २२-वीरपुर प्राग्वट
लुंबा ने २३-मधुमती २४-वर्तमानपुर
हावर ने आचार्यश्री के ४६ वर्षों के शासन में मन्दिर मूर्तियों की प्रतिष्ठाएं १-लोद्रवा के भाटी जाति के शाह भुरा ने भ० महा० के मन्दिर की प्र० २-देवपुर के काग ,
विमल ने , " ३-आलोट के सुरवा ,
__ धरणने " " ४-मंगलपुर भुंरेंट
नारायण ने, ५-हरीपुर नार
पुरा ने , ६-पाटण भुरा
श्रीपाल ने , ७-आनन्दपुर चंडालिया
जिनदेव ने , -वल्लभीपुरी प्राग्वट
पर्वत ने , १-पाटणअणहिल्ल के श्रेष्टि
हाप्पा ने , " १०-स्तम्मनपुर श्रीमाल
कोला ने ११-वडप्रद
गोरा ने , १२-खेटकपुर के प्राग्वट
जाला ने १३-सोपारपटण के सुघड़
खीवड़ाने १४-भरोंच श्रीमाल
चाम्पा ने , नेमीनाथ १५-करणावती
बाफण १६-गोसलपुर के आर्य
जैना ने १७-तक्षशिला के पारख
झांझपने १८-शालीपुर के बिह
नोदा ने , विमलनाथ, सूरीश्वरजी के शासन में प्रतिष्ठाएँ
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सुचती
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Jain Ede
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