Book Title: Bhagwan Parshwanath ki Parampara ka Itihas Purvarddh 02
Author(s): Gyansundarvijay
Publisher: Ratnaprabhakar Gyan Pushpamala Falodi

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Page 791
________________ जैन मूर्तियों पर के शिलालेख] [ भगवान् पार्श्वनाथ की परम्परा का इतिहास ४१-सं० १३७६ वर्षे आषाढ़ वदि ८ श्री उपकेशगच्छे व्य० जगपाल भा० जासलदे पु० भीम भा० माणल पु० जालाजगसीह जयतापुतेन कुटम्ब श्रेयंसे चतुर्विंशतिपट्टः कारितः ।। प्र० श्री ककुदाचार्य संताने श्री कक्कसूरिभिः ॥ पाटण ४२ --सं० १३८० वर्षे माह सुदि ६ सोमे श्री उपकेशगच्छे बेसट गोत्रे सा० गोसलव्य० जेसंग भा० आसघर श्रे० भ्रातृ पव० श्रा० देसलतत्पुत्र सा० सहजपाल सा० साहण सा० समरसिंह पितृव्य सा० लूपा तत्पुत्र सा० सागत सॉंगण प्रमुखै चतुर्विशतिपट्टः का० प्र० श्रीककुदाचार्य सं० श्रीककसूरिभिः॥ खंभात चिन्तामणी पार्श्व० जिना० ४३--सं० १३८० महा सुदि ६ भौमे अकेशगच्छे आदित्यनाग गोत्रे सा० विरदेवात्मज स० भंटुक भा० मोषाहि पुत्र रुद्रपाल भा० लक्ष्मणा भ्रातृघणसिंह देवसिंह पासचन्द्र पूनसिंह सहिताभ्याँ कटुम्ब श्रेया) श्री शान्तिनाथ बिंबं का० ककुदाचार्य संताने श्रीकक्कसूरिभिः ॥ धातु नं० ७११ पेथापुर ४४-सं० १३८० ज्येष्ठ सुदी १४ श्री उएसगच्छे श्रे० म...."लाभा० मोषलहे पु० देहा कमा पितृमात श्रेय से श्रीआदिनाथ बिंबं कारितं प्र० श्री ककुदाचार्य सं० श्रीककसूरिभिः।। ब० ले० १३५८ चुरु (बीकानेर) शान्ति ४५--सं० १३८५ वर्षे फागुण सुदि....."श्रीपार्श्वनाथ बिम्बं कारिता प्रतिष्ठितं श्रीककसूरिभिः। ___ उदयपुर मेवाड शितल० १०४३ ४६-सं० १३८६ वर्षे ज्येष्ठ वदि ५ सोमे श्री ऊएसगच्छे बप्पनाग गोत्रे गोल्हा भार्या गुणादे पुत्र मोखटेन मातृपित्रीः श्रेयं से सुमतिनाथ बिंबं कारितं प्र० श्रीककुदाचार्य सं० श्रीककसूरिभिः ॥ जैसलमेर-चंद्रपभ-२२५३ १७-सं० १३८७ वर्षे माघ शुदि १० शनौ श्रीउपकेशगच्छ खुरियागोत्रे सा० घीरात्मज सा० झांझण भार्या जयतलदे सुत छाड़ आसाभ्यां मातृपित्रोः श्रे० श्री अजितनाथ बिंबं का. प्र. श्रीककुदाचार्य संताने प्रभु श्रीककसूरिमिः ॥ धातु-बडोदरा-जानिशेरी चन्द्रप्रम-नं० १४३ ।। ४-सं० १३८८ वर्ष माय सुदि ६ सोमे उकेशगच्छे आदिनागगोत्रे शा० खीरदेवात्मज शा० भंदुक भा० मुखाहि पुत्र ऋशाल लक्ष्मणभ्याम् भ्रातृ धनसिंह देवसिंह पासचन्द्र पुनसी सहिताभ्य कटुम्ब श्रे० शांतिनाथ वियं का प्र० ककुदाचार्य संताने श्रीकक्कसूरिमिः ॥ धातु नं० ७०६ पेथापुर ४६-सं० १३६१ श्री ऊकेशगच्छे श्रीककुदाचार्य संताने सोमदेव मार्या लोहिणा आत्मर्थ श्रीसुमति बिंब कारितं श्रीककसूरिभिः ॥ २२६१ जैसलमेर-चन्द्रप्रभ ५० -सं० १३६२ वैशाख सुदि ३ उएशगच्छे कांकरिया शाखायां सा० भाणा भा० भोली पु० देवाकेन श्रीनेमिनाथ बिंबं का० प्र० ककसूरिभिः ।। जैसलमेर ५१-सं० १४०० वर्षे वैशाख शुदि उपकेशवंशे चीचट गोत्रे संघपति सा० देसन्नात्मज सा०पाल भार्या नयणदेव्य संघ० श्रीरंग संग......."सिंह सं० मूरा सं• दादू साहाय्येन श्रीस्तंमतीर्थे सं० धनपत्य..... समवसरणं प्रति० श्रीकक्कसूरिभिः ।। लेखांक १०७६ ५२-सं० १४०५ वैशाख शु. ३ श्री उएसगच्छ तातहड़ गोत्र प्र० साः-ज भा. ब्रह्मादे वही पुत्र संघ सा• पाडूकेन सकुटुबेन श्रीरिषभ बिबं का प्र० श्रीककुदाचार्य संताने श्रीककसूरिभिः ।। बाबू-लेखांक ४.. १५१८ Forporate उपकेशगच्छाचार्यों द्वारा मन्दिर मूर्तियों की प्रतिष्ठा - - Jain Ed i nternational Paintendrary.org

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