Book Title: Bhagwan Parshwanath ki Parampara ka Itihas Purvarddh 02
Author(s): Gyansundarvijay
Publisher: Ratnaprabhakar Gyan Pushpamala Falodi
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आचार्य कक्कसूरि का जीवन ]
[ओसवाल सं० १४७४-१५०८
आचार्यश्री के ३४ वर्षों के शासन में मन्दिर मूर्तियों की प्रतिष्ठाएं १-शाकम्भरी के चोरड़िया जाति के शाह भैरा ने भ० पार्श्व० के मन्दिर की प्र० २-दुधानी के भरकोटा "
पोलाक ने , ३-पादोरी नाहटा
पेथड़ ने ४-नागपुर पारख
पुनड़ ने महा० ५-भवानीपुर समदाड़िया
नेणसी ने ६-भीनमाल तातेड़
वछा ने ७-रालोड़ी करणावट
कोला ने ८-रामपुर आर्य
खरथा ने शान्ति -कीराटकुम्प छाजेड़
जोगड़ ने १०-मुधार भटेवरा
गोंदा ने आदिश्वर ११-देवपटन मकवाणा
रावल ने केसरिया १२-सुसाणी राखेचा
सारंग ने मल्लिक १३-बेलकावी डुगरवाल
चतार ने १४-खटकूप काग
धुहड़ ने महा० १५-हर्षपुर कांकरेचा
भारमल ने १६-कुकाणी रावत
भीम ने १७-अरणीग्राम हिंगड़
गोदा ने १८-रेणूकोट मोसालिया
नोंघण ने १६-भाराटेकोर सुघड़
डावर ने २०-वीरपुर चंडालिया
राजा ने सीमं० २१-मालपुर मल्ल
केसा ने
पाव २२-थेरापद्र
नेना ने २३-नार कांकरिया
फूया ने २४-लालपुर
रोला ने ऋषम० २५-पृथ्वीपुर देसरड़ा
टोड़ा ने वास० २६-सोपारपटन प्राग्वट वंश
खीवसी ने विमल २७-राहोड़ी
रांणा ने शान्ति २८-नाकुलवाडा
, भोजा ने पार्श्व० २१-श्रीपुर
, देदा ने , ३०-लोद्रवापुर श्रीमाल वंश
दुगों ने महा० ३१-दीवकोट
सज्जन ने पूज्याचार्य देव के ३४ वर्षों के शासन में तीर्थों का संघादि शुभ कार्य १-नागपुर के चोरडिया शादुल ने श्री शत्रुञ्जय का संघ निकाला २-उपकेशपुर के श्रेष्टि लाडुक ने ३-नारदपुरी के बाफणा वीरा ने
" _dain Eसूरीश्वरजी के शासन में प्रतिष्ठाएँ
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अजित०
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