Book Title: Bhagwan Parshwanath ki Parampara ka Itihas Purvarddh 02
Author(s): Gyansundarvijay
Publisher: Ratnaprabhakar Gyan Pushpamala Falodi
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आचार्य ककसरि का जीवन ।
[ओसवाल सं. ९५८ से १००१
, पेथो
" दोलो , खीवसी , जोगो
" देखो
१५-गोधाणी के चिंचट गौत्रीय शाह भैरो सूरिजी के पास दोक्षा ली १६ -वाचुला के डिडु , , हरदेव १७-हथुड़ी के प्राग्वट , , पातो १८-माकोली के श्रीश्रीमाल , , फूत्रो १९-रूणावती के मोरख ,, जैतसी २०-चौराणी के भटेवग ,
" मुकनो २१-दान्तिपुर के तप्तभट , २२-डागाणी के प्राग्वट । ,, जागो २३-शाकम्भरी के प्राग्वट , सुरजण २४-एहतवाड़ के करणाट , २५-वीरपुर के चोरलिया , २६-डामरेल के पल्लीवाल , २७-कथोली के कुलहट २८-बुलोल के श्रीमाल ". " धरमण २९-टोली के नाहटा , , नाथो ३०-जेतपुर के भूरि , , काल्हण २१-गुड़की के श्रीमाल , , सेल्हो ३२-घरगाव के प्राग्वट
". "मुंधण ३३-टेलीग्राम के वीरहट , , मीमण ३४-मादलपुर के प्राग्वट , रोड़ो
इनके अलावा भी कइ इनके साथियों ने तथा महिलाए ने भी दीक्षा ली परन्तु प्रन्थ बढ़ जाने के भय से उपलब्ध नामों से थोडे नाम यहां पर लिख दिये है। इससे पाठक ! समझ सकते हैं कि वह जमाना कैसे संस्कारी था कि वे बात की बात में आत्मकल्याणार्थ घर का त्याग कर निकल जाते थे ।
आचार्य श्री के शासन में मन्दिरों की प्रतिष्ठाए १-नागपुर के श्रादित्य भीमाशाह ने भगवान् पार्श्व० मन्दिर की प्रतिष्ठा २-भावाणी , श्रीष्टि० करमण ने , महावीर , ३-श्राजोड़ी , भाद्र० पैराशाहने , " ४-मुग्धपुर , सुचंति० नानग ने ५-खटकूप , बप्प नाग० सांगा ने
" पाश्वनाथ ६-चोणाट , चौरलिया चतराने ७-आसिका , दिडु० गोमाने
८-अघाट , चिंचट० नारायण ने सूरिश्वरजी के शासन में मन्दिरों की
" श्रादिनाथ
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