Book Title: Bhagwan Parshwanath ki Parampara ka Itihas Purvarddh 02
Author(s): Gyansundarvijay
Publisher: Ratnaprabhakar Gyan Pushpamala Falodi
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वि० सं० ७७८ से ८३७]
[ भगवान् पार्श्वनाथ की परम्परा का इतिहास
" नाहड ने
जाल्हण ने
श्रीमाल
२६-राटीप्राम , पोकरणा
पुज्जाशाह ने- , २७---मनुकली , महाराष्ट्रीय
लादाशाह ने पार्श्वनाश २८-जागिया
आचार्य देव के ५६ वर्षों का शासन में संघादि शुभकार्य १-नागपुर के चोरलिया गौत्रीय शाह अर्जुन ने शत्रुजय
का संघ २ - मुग्धपुर , कुम्मट
" देपाल ने ३-खटकूप , श्रेष्टि ४- हंसावली , भूरि
गोगड़ ने ५-मेदनीपुर , भाद्र
, पलखण ने ६-उपकेशपुर , जंघड़ा ७-चन्द्रावती , प्राग्वट
शंकर ने ८-नारदपुरी ,
भुरा ने ९-सत्यपुरी , रांका
करणा ने १०-असलपुर , देसरड़ा
नेजपाल ने ११-दान्तिपुर , श्रीश्रीमाल
बोटस ने १२-कोरंटपुर , श्रीमाल
वीरम ने १३ - चन्द्रावती ,
, जिनदासने १४-भरोच , प्राग्वट
भगाने १५-मालपुरा , श्रीमाल
, राजसी ने १६-सोपार " १७-पीलाणी ,
प्राग्वट बाला की पति ने तलाब खोदाया १८-सानणी , श्रेष्टि गौ० कोकाकी पुत्री वरजू ने तलाब बनायो १९-चन्द्रावती , प्राग्वट रामो युद्ध में काम आया उसकी पत्नी संतीहुई २०-उपकेशपुर , भाद्रगो० नाथो युद्ध , २१-वैराट , डिडू गौ० मालो,, , , दो चालीस पट्ट कक सूरिने, आर्य गौत्र उजारा था
किशोर व्यय में दीक्षा लेकर, स्याद्वाद प्रचारा था दीक्षा शिक्षा दी शिष्यों को संख्या खुब बढ़ाई थी
भू भ्रमन कर जैन धर्म की, शिखर धजा चड़ाई थी इती-भगवान पार्श्वनाथ के बेचालीस पट्टपर ककसूरिजी महान् धूरंधर प्राचार्य हुए
श्रेष्टि
" घरमसीने
99. Jain Educationleman
..सूरीश्वरजी के शासन में संघादि शुभ कार्य
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