Book Title: Bhagwan Parshwanath ki Parampara ka Itihas Purvarddh 02
Author(s): Gyansundarvijay
Publisher: Ratnaprabhakar Gyan Pushpamala Falodi
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वि० सं० ६६० से ६८० ]
१८ - घंघोलिया
१९ - नाहूली
२०- नाणापुर
के केसरिया
के चोरड़िया
२१ – बड़नेर २२ -- आसलपुर
के गान्धी
२३ - जेतलवाड़ा के मोरख
२४ - श्रानन्दपुर के चिंचट
२५- पाल्हिका
के प्राग्वद
२६ - पाटडी
२७ - चन्द्रावती
२८ - रत्नपुर
२९- खोखर
१- विजयपट्टन २ - वर्द्धननगर
३ - विक्रमपुर
४ -- सत्यपुर
५- सोनाली
६ - सारंगपुर
७ - चन्द्रावती
८- भिन्नमाल
९- मेर
१० - विराट्पुर
११ - अर्जुनपुरी
१२ - - नाकुली
डु
के पल्लीवाल
१३ - मेदनीपुर
१४ – बुरडी
१५-- नागापुर
१६- राजपुर १७- योगनीपुर १८ - गोपगिरी
१९ - थंभोर
१०८२
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के प्राग्वट
के प्राग्वट
के प्राग्वट
के श्रीमाल
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तप्तभट्ट
श्रेष्टि
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कुमट
चिंचट
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वागडिया
पोकरणा
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[ भगवान पार्श्वनाथ की परम्परा का इतिहास.
श्रमराने
भ० पार्श्वनाथ नदिर की प्र०
वागा
अर्जुन
पनाने
कचराने
लुढ़ाने
कानडाने
थेरुने
कुलधर ते
महराने
सूरीश्वरजी के २० वर्ष का शासन में संघादि शुभ कार्य
बप्पनाग गौत्रीय भंड
जय
पद्मने
पर्वत
चाहडने
नेतसीने
कल्हण ने
सोढ़ाने
सालगने
देवाने
जैतसीने
पारसने
चाडाने
बीरहट
बंदोलिया
श्री श्रीमाल
श्रीमाल
प्राग्वट
चोरडिया
गोलेच्छा
प्राग्वट
प्राग्वट
बलाह- रांका
वीरहट
कुलइट
पुनडाने
सांगाने
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महावीर
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धर्मनाथ
मल्लिनाथ
विमलनाथ
महावीर
पार्श्वनाथ
लाखणने
भारमलने
वोरीदासने
जिनदासने
कालाने
पासाने
नाराने
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सम्मेत शिखर का संघ
जय का संघ
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का संघ
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सूरीश्वरजी के शासन में संपादि
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