Book Title: Bhagwan Parshwanath ki Parampara ka Itihas Purvarddh 02
Author(s): Gyansundarvijay
Publisher: Ratnaprabhakar Gyan Pushpamala Falodi
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वि० सं० ६३१-६६०
[ भगवान् पार्श्वनाथ की परम्परा का इतिहास
१०-सरोजा , श्री श्रीमाली ,
शादुला ने ११ -सत्यपुर , भूरि
तोलाने १२-वडपी , कुम्मट
वाला ने १३-स्तम्मनपुर,, प्राग्वट
नाहार ने १४- पद्मावती,, प्राग्वट माला ने १५-मेदनीपुर , प्राग्वट देवा ने १६-मादडी , प्राग्वट
गोमा ने १७-नारदपुरी ,, श्रीमाल भोणा ने १८-चंदलिया,, चिंचट आइ दाना ने १९---मुत्ताड़ी , श्रीमाल
रामा ने २०-वैराटपुर ,, डिडु
करत्था ने २१-रोयाटी , लघुश्रेष्टि जैसल ने २२.- वीरपुर , कनोजिया देसल ने २३-मालपुर , क्षत्री
ठाकुर ने २४-जोटाणी, मोरख
मोकल ने २५-चोराट , बलाहा देदा ने २६-चर्पट , वीरहट दाहड़ ने २७-खेटकपुर,, कुलहट
भोजा ने २८-करोलिया,, करणावट नेता ने २९-नंद प्राम , प्राग्वट , बाला ने ३०-मुसिया ,, प्राग्वट , जोगा ने
प्राचार्य श्री के २६ वर्ष के शासन में मन्दिरों की प्रतिष्टाए १-हसावली के श्रेष्टि गोत्रीय मंत्री नाराने पार्श्वनाथ का म.प्र. २-शाकम्मरी , मंत्री , माला ३-सुगोली , अदित्य० ॥ जैतसी ४- पद्मावती , ५-पालोट चिंचट
पाताने ६- नागपुर कुम्मट
खेताने ७-जेतपुर लघुश्रेष्टि
खीवसीने ८-माणकपुर ,
भोलाने
भ० ऋषभदेव ९-वीरपुर
श्रादूने १०-इन्दरोटी
प्राग्वट
अजड़ने
सूरीश्ववरजी के शासन में प्रतिष्ठाए
३
भूरि
दुर्गोने
कनोजिया भोरख
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