Book Title: Bhagwan Parshwanath ki Parampara ka Itihas Purvarddh 02
Author(s): Gyansundarvijay
Publisher: Ratnaprabhakar Gyan Pushpamala Falodi
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वि० पू० ५२०-५५८ ]
भगवान पार्श्वनाथ की परम्परा का इतिहास
१७-गुणसेन-आप राजा कनकसेन के पुत्र थे आपके दो पुत्र प्राचार्य के पास दीक्षा ली जिसके महोत्सव में श्रापने नीलक्ष द्रव्य व्यय कर जैन धर्म की अच्छी प्रभावन की थी
१८- दुर्लभसेन-आप राजा गुणसेन के पुत्र थे आपके शासन समय में एक अकाल पडा था जिसमें छापने लाखों रूपये व्यय किये और प्रजा का पालन किया
१९-छत्रसेन-श्राप दुर्लभसेन के पुत्र और वीर प्रकृति के थे २०-राजसेन-श्राप राजा छत्रसेन के पुत्र थे २१-पृथुसेन-आप राजा राजसेन के पुत्र थे २२-अजितसेन-श्राप राजा पृथुसेन के पुत्र थे २३-देवसेन-(२) आप गजा अजितसेन के पुत्र थे २४-भूलसेन- श्राप राजा देवसेन के पुत्र थे । २५-राव नोढा-आप राजा मूलसेन के पुत्र थे २६-राव नोरा-आप रावनोढा के पुत्र थे २७-रावनारायण-आप रावनोरा के पुत्र थे २८-राव सुरजण-श्राप रावनारायण के पुत्र थे
___ मांडव्यपुर की राज वंशावली श्रीमाल का राजकुमार उत्पलदेव ने उपकेशपुर को श्राबाद किया था उस समय मांडलपुर (मंडावर) में राव मांडा का राज था और राव मांडा ने उत्पलदेव को श्रापकी पुत्री परणाई थी जिससे उसके आपस में सम्बन्ध होगया था राव मांडा ने उत्पलदेव को अच्छी मदद दी और कुछ भूमि मी दी थी जिससे राव उत्पलदेव अपना नया राज जमाने में अच्छी सफलता प्राप्त करली थी मांडव्यपुर के राजघराना पर भी प्राचार्य रत्नप्रभसूरि का अच्छा प्रभाव पड़ा था उस समय की जनता एक ओर तो वाममार्गियों के अत्याचारों से त्रसित थी दूसरी ओर ऊँच नीचके जहरीले भेद भावों से घृणा करती थी उस समय जैनाचार्यों का उपदेश ने उन पर जल्दी से प्रभाव डाल दिया था कुछ एक दूसरों के सम्बन्ध का भी कारण हुश्रा करता है कुछ भी हो पर उस समय जैम धर्म का प्रभाव जनता पर जबरदस्त पड़ा था।
१-राव मांडो-इसने मांडव्यपुर में सब से पहला म० महावीर का मन्दिर बनाया। २-सुहड़-इसने शत्रुजयादि तीर्थ यात्रार्थ संघ निकाला। ३-चुण्डा४-धरमण- इसने श्राचार्य के नगर प्रवेश महोत्सव में पुष्कल द्रव्य व्यय किया । ६-पासल्य-यात्रार्थ तीर्थों का संघ निकाला। ७- फागु-यह जैन धर्म का प्रचार करने में तत्पर रहता था। ८-मुरूदेव-इसने तीर्थो को यात्रार्थ संघ निकाला था। ९-मांडण-इसने किला के अन्दर २ मंजिल का मंदिर बनवाया था।
१०-रामो-इसका मंत्री श्रेष्टि रायमल्ल था वह बड़ा ही वीर था। ९८२
माडव्य पुर का राजश
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