Book Title: Bhagwan Parshwanath ki Parampara ka Itihas Purvarddh 02
Author(s): Gyansundarvijay
Publisher: Ratnaprabhakar Gyan Pushpamala Falodi
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आचार्य सिद्धसूरि का जीवन ]
[ ओसवाल सं० ९२० - ९५८
थे भीमसेन - चन्द्रसेन भीमसेन ने श्रीमाल का राज किया और चन्द्रसेन ने चन्द्रावती नगरी बसा कर वहाँ का राज किया इन नया राज आबाद करने का कारण आपस में धर्म भेद हो था राजा चन्द्रसेन जैन धर्म का उपासक था तब भीमसेन ब्राह्मण धर्मी एवं वाममार्गी था भीमसेन जैनों पर अत्याचार करने के कारण चन्द्रसेन ने जैनों के लिये नया नगर को आबाद कर उसका नाम चन्द्रावती रख वहां का राज किया चन्द्रावती में उस समय राजा प्रजा जैन ही थे और बाद में भी जैनों का ही अग्रेश्वर बना रहा था राजा चन्द्रसेन ने जैन धर्म का प्रचार के लिये खूब भागीरथ प्रयत्न किया अपने नूतन नगर के साथ भगवान पार्श्वनाथ का मन्दिर भी बनवाया इतना ही क्यों पर उस नगर के जितने वास - मुहल बसाया प्रत्येक वास में रहने वाले सेठ साहुकारों की ओर से एक एक जैन मन्दिर बना दिया था ।
२ - धर्मसेन - आप राजा चन्द्रसेन के पुत्र थे - आपने अपने पिता की तरह जैन धर्म की खूब सेवा की इस धर्म भावना के ही कारण आपका नाम धर्मसेन पड़ा है ।
३ - अर्जुन सेन -- आप राजा धर्मसेन के पुत्र थे श्रपने चन्द्रावती से शत्रुंजय की यात्रार्थ एक विराट् संघ निकाला था और साधर्मी भाइयों को सुवर्ण मुद्रकाएं की परामणी तथा वस्त्रों की लेन दी थी ४—ऋषभसेन–श्राप राजा अर्जुनसेन के पुत्र थे
५ रुपसेन - आप राजा ऋषभसेन के पुत्र थे
६ - आनन्द सेन - श्राप राजा रूपसेन के पुत्र थे आपने चन्द्रावती के पास एक तालाब खुदाया था जिसका नाम श्रानन्द सागर था
७ - वीरसेन - श्रप राजा श्रानन्दसेन के पुत्र थे
८- भीमसेन - श्राप राजा वीरसेन के पुत्र थे श्रापने यात्रार्थ तीर्थों का संघ निकाल कर साधर्भी भाइयों का सुवर्ण मुद्रिकाओं से सत्कार किया था ।
९ - विजयसेन -- आप राजा भीमसेन के पुत्र थे । अपने आबू पर्वत पर भगवान पार्श्वनाथ का मन्दिर बना कर प्रतिष्ठा करवाई
१० - जिनसेन - श्राप राजा विजय सेन के पुत्र थे अपने श्राबु के मन्दिर के लिये चार ग्राम दान में दिया तथा कुछ व्यापार पर भी लगान लगाया था
११ - सज्जनसेन - आप राजा जिनसेन के पुत्र थे अपने तीथों की यात्रार्थ संघ निकाला और प्रत्येक यात्री को पांच पांच तोला की कटोरी भावना में दी थी
१२ देव सेन – आप राजा सज्जनसेन के पुत्र थे
१३ - केतुसेन -- आप राजा देवसेन के पुत्र थे आपके प्रयत्न से संघ सभा हुई थी
१४ -- मदनसेन - आप राजा केतुसेन के पुत्र थे आपने एक मन्दिर बनवाया था
थे श्राप बड़े ही दानेश्वरी थे
१५ - भीमसेन ( २ ) आप राजा मदनसेन के पुत्र १६ -- कनकसेन - आप राजा भीमसेन के पुत्र आपने तीर्थ यात्रार्थ एक विराट संघ निकला जिसमें कई पांच लाख गृहस्थ थे १५२ देरासर १००० साधु श्राचार्थदि संघ बड़ा ठाठ से निकला साधर्मी भाइयों को सुवर्ण मुद्रिकाए की परामणी दी आपने और भी जैन धर्म के चोखे और अनोखे कार्य किये थे
चन्द्रावती नगरी का राजवंश
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