Book Title: Bhagwan Parshwanath ki Parampara ka Itihas Purvarddh 02
Author(s): Gyansundarvijay
Publisher: Ratnaprabhakar Gyan Pushpamala Falodi
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वि० पू० ५२०-५५८ वर्ष ]
[ भगवान् पार्श्वनाथ की परम्परा का इतिहास
मौजुदगी में एक बार चंपा नगरी पर चढ़ाई की थी और चंपा नगर को बहुत बुरी तरह से ध्वंस करके उसको खूब लूटी थी उनके अत्याचारों से राणी धारणी ने अपघात कर प्राण छोड़ दिया था ओर उसकी पुत्री वसुमती को कोसुबी लेजा कर बाजार में बेच दी थी जिसका वर्णन हम अंग देश का वर्णन करते समय लिख पाये हैं रानी मृगावती ने अपनी अन्तिमावस्था में भ० महावीर के पास दीक्षा ली थी इत्यादि इन राज का जैन शास्त्रों में विस्तृत वर्णन मिलता है पर मैं तो यहाँ पर केवल राजाओं की नामावली ही लिख देता हूँ।
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नं० | राजाओं के नाम
समय
सुतीर्थ
इ०सं पू.७९६
७३६
""७३६
६९६
चित्रक्ष
इन राजाओं की समयावली मैंने शाह के पुस्तक से लिखी है।
सुखीलल
""६११
सहस्रानिक संतानिक
"" ५६६
५४३
उदाइ
"" ५४३
मणिप्रभ
, ४८५
४६२
श्रीमान् शाह ने अपने प्राचीन भारत वर्ष में राजा उदाइ के लिए लिखा है कि जैन शास्त्रों में शिशु नागवंशी राजा उदाइ की मृत्यु एक दुष्ट के षड़यंत्र से खून के तोर पर हुई और वह अपुत्रिया मग था पर शाह कहता है कि-यह ठीक नहीं है पर मेरे मतानुसार राजा उदाइ शिशुनाग बंशी नहीं पर उपर बतलाया वत्सपति ही था और षडयंत्र की घटना इसके ही साथ हुई थी दूसरा मगद का उदाइ राजा अपुत्रिया भी नहीं था उसके अनुरूद्ध और मुदा एवं दो पुत्र थे अपुत्रिया कहा जाय तो वत्सपति ही था जो इन के बाद मणिप्रभ का नाम आया है यह राजा उदाइ का पुत्र नहीं पर दतक लिया हुआ पुत्र था अतः मेरा अनुमान ठीक है ऐसा शाह लिखता है पर जैन परम्परा में षड़यंत्र से खन मगद के राजा उदाइ का होना ही लिखा है फिर तो प्रमाणिक हो वही मानना चाहिए।
६- कौशलदेश-इस देश की राजधानी कुस्थल नगर में थी और इस देश के राजाओं में राजा प्रसेनजित का अधिकार जैन शास्त्रों में मिलता है कि वह म० पार्श्वनाथ के चतुर्थ पट्ट पर आचार्य केशी भमण का भक्त राजा था राजा प्रसेनजित के पूर्व के राजा किस धर्म को मानने वाले थे इसके लिए निश्चा
कोशल देश का राजवंश
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