Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 04 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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विभज्यवादी हूँ, एकांशवादी नहीं। माणवक ने तथागत से पूछा था कि गृहस्थ ही आराधक होता है, प्रव्रजित आराधक नहीं होता, इस पर आपकी क्या सम्मति है ? इस प्रश्न का उत्तर हाँ या ना में न देकर बुद्ध ने कहागृहस्थ भी यदि मिथ्यात्वी है तो निर्वाणमार्ग का आराधक नहीं हो सकता। यदि त्यागी भी मिथ्यात्वी है तो वह भी आराधक नहीं है। वे दोनों यदि सम्यक् प्रतिपत्तिसम्पन्न हैं तभी आराधक होते हैं। इस प्रकार के उत्तर देने के कारण ही तथागत अपने-आप को विभज्यवादी कहते थे। क्योंकि यदि वे ऐसा कहते कि गृहस्थ आराधक नहीं होता केवल त्यागी ही आराधक होता है तो उनका वह उत्तर एकांशवाद होता, पर उन्होंने त्यागी या गृहस्थ की आराधना और अनाराधना का उत्तर विभाग कर के दिया इसलिये तथागत बुद्ध ने अपने-आप को विभज्यवादी कहा है। पर यह स्मरण रखना चाहिये कि बुद्ध ने सभी प्रश्नों के उत्तर विभज्यवाद के आधार से नहीं दिये हैं। कुछ ही प्रश्नों के उत्तर उन्होंने विभज्यवाद को आधार बनाकर दिये हैं। तथागत बुद्ध का विभज्यवाद बहुत ही सीमित क्षेत्र में रहा पर महावीर के विभज्यवाद का क्षेत्र बहुत ही व्यापक रहा। आगे चलकर बुद्ध का विभज्यवाद एकान्तवाद में परिणत हो गया तो महावीर का विभज्यवाद व्यापक होता चला गया और वह अनेकान्तवाद के रूप में विकसित हुआ। तथागत के विभज्यवाद की तरह महावीर का विभज्यवाद भगवती में अनेक स्थलों पर आया है। जयन्ती के प्रश्नोत्तर विभज्यवाद के रूप को स्पष्ट करते हैं । अतः यहाँ कुछ प्रश्नोत्तर दे रहे हैं
जयन्ती—भंते ! सोना अच्छा है या जागना ? महावीर—कितनेक जीवों का सोना अच्छा है और कितनेक जीवों का जागना अच्छा है। जयन्ती—इसका क्या कारण है ?
महावीर—जो जीव अधर्मी हैं, अधर्मानुगामी हैं, अधर्मनिष्ठ हैं, अधर्माख्यायी हैं, अधर्मप्रलोकी हैं, अधर्मप्ररञ्जन हैं, वे सोते रहें यही अच्छा है । क्योंकि जब वे सोते होंगे तो अनेक जीवों को पीड़ा नहीं देंगे। वे स्व, पर और उभय को अधार्मिक क्रिया में नहीं लगायेंगे। इसलिये उनका सोना श्रेष्ठ है। परं जो जीव धार्मिक हैं, धर्मानगामी हैं. यावत्धार्मिकवत्ति वाले हैं. उनका तो जागना ही अच्छा है। क्योंकि वे अनेक जीवों को सख देते हैं। वे स्व, पर और उभय को धार्मिक अनुष्ठानों में लगाते हैं। अतः उनका जागना अच्छा है।
जयन्ती—भन्ते ! बलवान् होना अच्छा है या दुर्बल होना ? महावीर–जयन्ती ! कुछ जीवों का बलवान् होना अच्छा है तो कुछ जीवों का दुर्बल होना अच्छा है। जयन्ती—इसका क्या कारण है ?
महावीर—जो अधार्मिक हैं या अधार्मिकवृत्ति वाले हैं, उनका दुर्बल होना अच्छा है। वे यदि बलवान् होंगे तो अनेक जीवों को दुःख देंगे। जो धार्मिक हैं, धार्मिकवृत्ति वाले हैं, उनका सबल होना अच्छा है। वे सबल होकर अनेक जीवों को सुख पहुँचायेंगे।
इस प्रकार अनेक प्रश्नों के उत्तर विभाग करके भगवान् ने प्रदान किये। विभज्यवाद का मूल आधार
१. दीघनिकाय ३३. संगितिपरियायसुत्त में चार प्रश्नव्याकरण २. आगमयुग का जैनदर्शन, पृ. ५४. पं. दलसुख मालवणिया