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अडतीसवां बोल
शरीरप्रत्याख्यान
योग का प्रत्याख्यान करने से होने वाले लाभ का विचार किया जा चका है। यहाँ शरीर-प्रत्याख्यान के विपया मे विचार करना हैं । गौतम स्वामी शरीर-प्रत्याख्यान के विषय मे भगवान महावीर से प्रश्न करते हैं ।
मूलपाठ । प्रश्न - सरीरपच्चक्खाणेण भते ! जीवे कि जणयह?
उत्तर सरीरपच्चक्खाणेणं सिद्धातिसयगुणकित्तण निव्वत्तेइ, सिद्धातिसयगुणसंपन्ने य णं जीवे लोगग्गमुवगए परमसुही भवद ॥
शब्दार्थ प्रश्म भगवन !शरीर के प्रत्याख्यान से जीवात्मा को क्या लाभ होता है।
उत्तर-शरीर के प्रत्याख्यान ( त्याग) से जीव सिद्ध के अतिशय (उच्च) गुणभाव को प्राप्त करता है और सिद्ध