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उनसठवां बोल-२८५
'क्या हाथी कुछ कह रहा है "
राजशेखर - जी हां। हाथी मुझसे कह रहा है कि मुझे लेकर तुम बांधोगे कहाँ ? अतएव भलाई इमी मे है कि तुम राजा को फिर भेंट रूप में मुझे सौंर दो। ऐमा करने से मैं भी आनन्द में रहूगा और राजा द्वारा जो धन तुम्हे पुरस्कार में मिलेगा, उसे पाकर तुम भी आनन्द में रहोगे।
राजा भोज राजशेखर का प्रागय समझ गया। उसने राजशेखर को बहुत-सा धन देकर सुखी बना दिया ।
कहने का आशय यह है कि अपने पास शक्ति हो तो प्रत्येक समर्थ व्यक्ति को दूसरो के दुख दूर करने में उसका व्यय करना चाहिए । दूसरो की सहायता करने वाला ही दूमरो से सहायता लेने का अधिकारी है। जो लोग ज्ञान दर्शनचारित्र की वृद्धि करने में सहायक बनते हैं, वे स्व-पर का कल्याण करते हैं।