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अड़सठवां बोल-३२५
शब्दार्थ प्रश्न - भगवन् । मान जोतने से जीवात्मा को क्या लाभ होता है ?
उत्तर- मान को जीतने से प्रात्मा मे मृदुता का प्रपूर्व गुण प्रकट होता है, मानजन्य कर्म का बन्ध नहीं करता और पहले बन्धे कर्म का क्षय करता है।
व्याख्यान
मृदुमा एक महान् गुण है। शास्त्र में कहा है कि मान पर विजय प्राप्त करने से ही मृदुता का महान् गुण प्रकट हो सकता है । जिसमें नम्रता होती है, वह व्यक्ति महान् समझा जाता । धातुओ में सोना इस कारण कीमती माना जाता है कि उसमे नम्रता होती है। सोने को जितना ज्यादा पीटा जाता है, वह उतना हो नम्र बनता जाता है और जब वह एकदम निर्मल और नम्र हो जाता है तब वह कुन्दन कहलाता है । रत्न को ग्रहण करने की शक्ति कुन्दन मे ही होती है। इसीलिए पहले के लोग रत्न को सोने में जडने के लिए कुन्दन का उपयोग करते थे । जिस प्रकार नम्र बनाया हुआ सोना, रत्न को पकड लेता है, उसी प्रकार गुणरूपी रत्न को वही ग्रहण कर सकता है, जिसमे नम्रता हो । नम्रता प्राप्त करने के लिए मान को जीतने की भावश्यकता है । भान को जीतने से ही नम्रता आती है और जब नम्रता अ.ती है तब मान-जन्य नवीन कर्मों का बन्ध नहीं होता और मान के कारण पहले बन्धे हुए करें की भी निर्जरा होती है।