Book Title: Samyaktva Parakram 04 05
Author(s): Jawaharlal Acharya, Shobhachad Bharilla
Publisher: Jawahar Sahitya Samiti Bhinasar

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Page 367
________________ सतरवां बोल लोभ-विजय परमात्मा का सच्चा नाम-संकीर्तन करने के लिए कषाय का त्यागना मावश्यक है। जब तक हृदय में कषायभावना है तब तक परमात्मा की सच्ची प्रार्थना नही हो सकती । कषाय का त्याग करना अर्थात् क्रोध, मान, माया और लोभ को जीतना । कषाय को जीतने से आत्मा को बहुत लाभ होता है । क्रोधविजय, मानविजय और मायाविजय से होने वाले लामो पर पहले विस्तृत विवेचन किया जा चुका है । अब लोभ को जीतने से जीव को क्या लाभ होता है, इस विषय में गौताम स्वामी, भगवान महावीर से प्रश्न करते हैं: मूलपाठ प्रश्न - लोह विजएण ! भते ! जीवे कि जणयइ ? उत्तर - लोहविजएणं संतोसं जणयइ, 'लोहवेयणिज्ज फम्मं न बंघा, पुत्ववद्ध च निज्जरेइ ॥७॥

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