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बासठ से छांसठवां बोल-३१३
हो तो सबसे पहले इन्द्रियो का निग्रह कर इन्द्रियनिग्रह से प्रात्मा का उत्थान होता है और इन्द्रियो के अधीन बनने से आत्मा का पतन होता है । अतएव इन्द्रियों को वश में रखो । उन्हे पदार्थों के प्रलोभन मे मत जाने दो । पर्वत पर से एक ही पैर फिसल जाये तो कौन कह सकता है कि कितना पतन होगा ? इसी प्रकार एक भी इन्द्रिय अगर काबू से बाहर हो गई तो कौन कह सकता है कि आत्मा का कितना पतन होगा ! इसलिए अगर तुम अपने आत्मा को सिद्ध, बुद्ध, मुक्त तथा शांत करके दु.ख-मुक्त करना चाहते हो तो सर्वप्रथम इन्द्रियो का निग्रह करो। इन्द्रियनिग्रह ही आत्मविजय का अमोघ साधन है ।