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१०८-सम्यक्त्वपराक्रम (४)
इस प्रकार वह श्राविक विच्छू के काटने पर भी सामायिक के समय मन को मजबूत करके बैठी रही और अपना अध्यवसाय दृढ रख सकी। इस प्रकार वेप आपत्तिकाल । मे अध्यवसाय को दृढ रखता है।
आज सामायिक निरुपयोगी मानी जाती है और कुछ लोग सामायिकक्रिया के विरुद्ध भी बोलते हैं, मगर सामायिक के विरुद्ध बोलने वाले लोग भूल करते हैं किसी आपत्ति के समय सामायिक द्वारा अध्यवसाय निश्चल रहते है कुछ लोगो को सामायिक क्रिया मामूली-सी मालूम होती है, परन्तु वास्तव में सामायिक किस प्रकार जीवन साधक है, यह तो समय आने पर ही पता चलता है। जो लोग नियमित रूप से बराबर सामायिक करते है, वही स.मायिक का प्रभाव समझ सकते हैं। चोर तो हमेशा नही आते, लेकिन तिजोरी में ताला हमेशा लगाया जाता है । चोर के आने पर तिजोरी मे ताला लगा होने पर धन की रक्षा हो जाती है । इसा प्रकार वेष से भी आपत्तिकाल मे अध्यवसायो की रक्षा हो जाती है। इतना ही नही वरन् साधुलिग पाचो समितियो का पालन करने में समर्थ होता है । साधुवेष को महत्ता प्रकट करते हुए आगे कहा गया है कि साधुवेष धारण करने वाला साधु प्राणी, भूत, जीव, सत्व आदि समस्त प्राणियो का विश्वासपात्र बन जाता है साधुवेष धारण करने वाला साधु निषिद्व घर मे भी नि सकोच होकर जा सकता है । आज साधुवेषधारी लोगो पर जो अविश्वास पंदा हुआ दिखाई देता है, उसका कारण कुछ और होगा, परन्तु साधुवेष तो विश्वास उत्पन्न करने का हा साधन है। .
सुविहित साधुवेष उपधि को अल्प करने मे साधनभूत बनता है और इससे सब प्रकार की झझट दूर हो जातो