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बावनवां बोल
योगसत्य
करण सत्य अर्थात् सत्य प्रवृत्ति से जीवात्मा को क्या लाभ होता है, यह पहले बतलाया जा चुका है । अब सत्य योग अर्थात् मन, वचन और काय के सत्य व्यापार से जीवात्मा को क्या लाभ होता है, इस विषय मे गौतम स्वामी भगवान् महावीर से पूछते हैं -
मूलपाठ प्रश्न -जोगसच्चेण भते ! जीवे कि जणयइ ? उत्तर जोगसच्चेणं जोगे विसोहेई ॥ ५२ ।।
शब्दार्थ प्रश्न- भगवन् ! योग सत्य से जीव को क्या लाभ होता है ?
उत्तर-योग-सत्य से योगो की विशुद्धि होती है।