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अट्ठावनवा बोल
कायसमाधि
मन:समाधि और वचनसमाधि करने से जीवात्मा को ज्ञानविशुद्धि और दर्शनविशुद्धि का लाभ होता है। इस विषय का विस्तृत विवेचन किया जा चुका है । सब कायसमाधि अर्थात् काय का निरोध करने अ जीवात्मा को क्या लाभ होता है, यह प्रश्न गौतम स्वामी, भगवान् महावीर से पूछते है :
मूलपाठ प्रश्न-कायसमाहारणयाए णं भंते ! जीवे कि जणयइ?
उत्तर- कायसमाहारणयाए चरित्तपज्जवे विसोहेइ, चरित्तपज्जवे विसोहित्ता अहक्खायचरित्तं विसोहेइ, अहक्खायचरित्तं विसोहेत्ता चत्तारि केवलिकम्मसे खवेइ तो पच्छा सिज्झइ, बुज्झइ, मुच्चइ, परिनिन्वायइ, सव्वदुक्खाणमतं करेइ ।। ५८ ॥
शब्दार्थ प्रश्न-भगवन् ! कायसमाधि से जीवात्मा को क्या लाभ होता है ?