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अड़तालीसवां बोल-१८५
मे डाल दिया। वहां मेरा अपमान हुआ और जिस काम के लिए आपने भेजा था वह भी न हुआ । मुझसे यह वजारत न होगी । मेहरवानी करके यह पद वापिस ले लीजिए। बादशाह ने जबाब दिया-यह सब बात तुम अपनी बहिन से कहो।
बादशाह चाहते थे कि बेगम इन सब बातो से परिचित हो जाये और फिर कभी, ऐसा प्रपच न करे । इसी कारण बादशाह ने सब बाते बेगम से कहने के लिए कहा। शेख हुसेन अपनी बहिन के पास गया और कहने लगा'बहिन । प्रधान पद की यह मुसीबत तुमने क्यो मेरे सिर मढी पिहले मैं मजे से रहता था, अब चिन्ता ही चिन्ता मे-दिन बीतता है।'
बेगम - तुम प्रधान बनाए गए तो बुरा क्या हआ ? प्रधान का हुकम तो बादशाह से भो ऊचा ममझा जाता है। . शेख-बहिन ! तुम्हारा. कहना सही है। प्रधान का पद बडा है, यह ठीक है, मगर उमे टिकाए रखने के लिए मुझमें काबलियत भी तो होनी चाहिए। मुझमे यह काबलियत नहीं है। इसलिए किसी तरह कोशिश करके मुझे इस मुसीबत से बचाओ।
बेगम फला मुल्लाजी और फला मुसलमानो ने तुम्हें बजीर बनाने के लिए मुझ से कहा था, बल्कि जोर दिया था । उन्होने ही मुझे ऐसा करने के लिए भड़काया था । उन्हें बुलवाकर पूछ लेती है।' ' - - . जिन मुल्लाओ और मुसलमानो ने बेगम को भरमाया या, उन सब को बेगम ने अपने सामने बुलाकर पूछा - तुम