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'चवालीसवां बोल - सर्वगुणसम्पन्नता
सच्ची सेवा करने वाले को तीर्थकर पदवी प्राप्त होती है और परिणामस्वरूप वह सर्वगुणसम्पन्न हो जाता है । अतएव गौतम स्वामी सर्वगुणसम्पन्नता के विषय मे भगवान् महावीर से प्रश्न करते हैं:--
मलपाठ प्रश्न-सर्वगुणसम्पन्नयाए णं भंते ! जीवे कि जणयइ?
उत्तर-सव्वगुणसम्पन्नयाए अपुणरावित्ति जणयइ, अपुणरावित्ति पत्तएयणं जीवे सारीराण माणसाणं दुक्खाणं नो भागी भवइ ॥४४॥
शब्दार्थ प्रश्न - भगवन् । सर्वगुण प्राप्त करने से जीव को क्या लाभ होता है ?
उत्तर- ज्ञान प्रादि सर्वगुणो की प्राप्ति होने से ससार मे फिर नही आना पडता और फिर न आने से जीव शारीरिक और मानसिक दुखो से मुक्त हो जाता है।